जन्माष्टमी स्पेशल : वृन्दावन बिहारी जी का माखन मिश्री भोग
जन्माष्टमी के दिन लड़कियां और महिलाएं व्रत भी रखती है जन्माष्टमी के दिन निर्जला व्रत भी रखा जाता है | और जन्माष्टमी का व्रत रात में 12:00 बजे खेला तारा देखकर तो आ जाता है | इससे पहले श्री कृष्ण को भोग लगाकर उनकी पूजा की जाती है | ऐसा कहा जाता है कि जन्माष्टमी के दिन अभी पूरे विधि विधान से पूजा की जाए जीवन के सारे दुख समाप्त हो जाते हैं |आज के इस लेख लेख में हम आपको बताएंगे पूजा का सही मुहूर्त, पूजा करने की सही विधि, और जन्माष्टमी का महत्व | अभी आप भी जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले हैं या जन्माष्टमी आपको पसंद है तो लेख आपके लिए लाभकारी होगा
इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी 30 अगस्त को है | जो 29 अगस्त दिन रविवार को रात को 11:25 से शुरू होकर 30 अगस्त को दिन सोमवार को देर रात 1:59 मिनट तक रहेगी |
जन्माष्टमी 29 अगस्त को रात से ही शुरू हो जा रहे हैं जिसके कारण सही मुहूर्त और सही दिन को लेकर लोगों के बीच का संबंध बना हुआ है | लेकिन हम आपको बता दें कि जन्माष्टमी 30 अगस्त 2021 की है |
लेकिन इस बार को लेकर पंडितो का कहना है कि वर्षो बाद एक ऐसे योग का निर्माण है | जिसकी वजह से इस बार वैष्णव और ग्रहस्थ दोनों एक हीं दिन मनाएंगे | और पंडितो का कहना है कि करीब 100 से भी अधिक सालो के बाद ऐसे दिन इस जयंती का योग का निर्माण हो रहा है |
- रोहिणी नक्षत्र - श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत सुबह 6:39 से शुरु होगा | और अगले दिन की सुबह 9:43 तक रहेगा |
- हर्षण योग - जन्माष्टमी के दिन सुबह 7:48 मिनट से शुरु होगा |
- सर्वार्थ सिद्धि योग - जन्माष्टमी के दिन 30 अगस्त को सुबह 6:39 से शुरु होकर अगले दिन यानि 31 अगस्त सुबह 5:59 तक रहेगा |
जन्माष्टमी पूजा
जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हुए भगवान श्रीकृष्ण के बाल की पूजा करें। मूर्ति स्थापना के बाद उनका गाय के दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। फिर उन्हें मनमोहक वस्त्र पहनाएं। मोर मुकुट, बांसुरी, चंदन, वैजयंती माला, तुलसी दल आदि से उनको सुसज्जित करें। फूल, फल, माखन, मिश्री, मिठाई, मेवे, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें। फिर सबसे अंत में आप भगवान बाल श्रीकृष्ण की आरती करें। उसके बाद प्रसाद का वितरण करें।
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