हिन्दू धर्म में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मांगलिक दोष का व्यक्ति पर बहुत प्रभाव होता है। कहा जाता है की जो व्यक्ति मंगल ग्रह द्वारा उत्पन्न प्रभावों से ग्रसित हो , उसे अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वही अगर कुंडली में मांगलिक प्रभाव शुभ हो तो व्यक्ति का जीवन खुशियों से संपन्न रहता है। कथन के अनुसार जब कुंडली के प्रथम , चतुर्थ , सप्तम , अष्टम , या द्वादश स्थान पर मंगल ग्रह का वास होता है , तो व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक दोष उत्पन्न होता है। वही यह भी कहा जाता है की जो कोई भी व्यक्ति पूर्व जन्म में अपने जीवन साथ के बुरा व्यव्हार करता है उसे वर्त्तमान जीवन में मांगलिक दोष का प्रभाव झेलना पड़ता है। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को मांगलिक जीवन साथी का ही साथ उत्तम रहता है।
मांगलिक दोष का सटीक प्रभाव व्यक्ति के दांपत्य जीवन एवं आर्थिक स्थितियों पर पड़ता है , जिसके कारण न ही वह अपने वैवाहिक जीवन में कुशलता से रह पता है और ना ही अपनी जिम्मेदारी उठाने में सक्षम होता है। मांगलिक दोष लड़का या लड़की किसी पर भी हो सकता है , इसलिए दोनों को ही मंगल ग्रह की नकारात्मक्ता से बचाव करना आवश्यक होता है। मांगलिक दोष व्यक्ति के वैवाहिक जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव डालतें है। कभी - कभी इनके परिणाम इतने व्यथित होतें है की उनका अंत हिंसा एवं शारीरक व मानसिक उत्पीड़न के रूप में दिखाई देता है। इस दोष से परेशान व्यक्ति अपने जीवन में केवल समस्याओं का ही सामना करतें रहता है। उन्हें जीवन में किसी रूप से ख़ुशी का अनुभव नहीं हो पाता है।
• मांगलिक व्यक्ति का विवाह मांगलिक कन्या से ही होना चाहिए , इससे मंगल ग्रह के प्रभाव नष्ट हो जातें है।
• प्रतिदिन 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
• दिन में कम से कम एक बार हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए।
• मंगलवार के दिन हनुमान जी को कुछ मीठा एवं घी का दिया जरूर अर्पण करें।
• मंदिर में लाल कपड़ें का दान करें।
• मंगल ग्रह के प्रभावों को दूर करने के लिए कुम्भ विवाह भी किया जा सकता है।