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हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया आती है। इसे कई प्रांतों में अका तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आप कोई भी शुभ कार्य बिना कोई मुहूर्त निकाले कर सकते हैं। हिन्दू धर्म संस्कृति में शुभ मुहूर्त और तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। घर में वैदिक विधि द्वारा कोई छोटा-सा शुभ कार्य करवाना हो या फिर कोई बड़ा कार्य, जैसे- सोलह संस्कार, गृह प्रवेश, विशेष वस्तुओं की खरीदारी, व्यवसाय की शुरूआत आदि के लिए एक विशिष्ट मुहूर्त और तिथि देखी जाती है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार यह तिथि या मुहूर्त ग्रहों एवं नक्षत्रों की स्थिति को ध्यान में रखकर निकाला जाता है। लेकिन अक्षय तृतीया के दिन आप कोई भी शुभ कार्य बिना किसी मुहूर्त के कर सकते हैं, क्योंकि इस दिन सूर्य एवं चंद्रमा अपनी उच्च राशि में होते हैं, जो कि शुभ मुहूर्त को दर्शाता है।
अक्षय तृतीया का महत्व
हमारे पुराणों एवं शास्त्रों में उल्लिखित है कि इस तिथि को कई बड़े और पौराणिक कार्य किए गए हैं, जिसके बाद से इस तिथि को किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत के लिए शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया का महत्व
हमारे पुराणों एवं शास्त्रों में उल्लिखित है कि इस तिथि को कई बड़े और पौराणिक कार्य किए गए हैं, जिसके बाद से इस तिथि को किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत के लिए शुभ माना जाता है।
- कुछ धार्मिक मान्यतओं के अनुसार अक्षय तृतीया की तिथि को ही भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार लिया था।
- आज ही की तिथि के दिन पवित्र माता गंगा अवतरित हुईं थीं।
- अक्षय तृतीया के ही दिन सूर्यदेव ने कुंती पुत्र युधिष्ठिर को अक्षय पात्र दिया था। अक्षय पात्र एक ऐसा बर्तन था जिसमें रखा गए भोजन कभी भी समाप्त नहीं होता है।
- अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान शिव ने कुबेर को धनपति होने का आशीर्वाद एवं स्वर्ग का वित्त संभालने का कार्यभार दिया था। इसलिए इस दिन कुबेर देव की पूजा की जाती है।
अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को आती है। इस वर्ष अक्षय तृतीय 10 मई शुक्रवार को प्रात: 4:17 से प्रारंभ हो रही है और 11 मई प्रात: 2:50 बजे तक चलेगी। वैसे तो आज का पूरा ही दिन किसी भी कार्य की शुरूआत के शुभ है, लेकिन अक्षय तृतीया का विशिष्ट मुहूर्त 10 मई प्रात: 5:48 बजे से प्रारंभ होकर दोपहर 12:22 तक रहेगा।