भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) का रूप अत्यंत मनोरम (adorable) है, उनकी छवि मात्र को निहारने से भक्तों की पिपासा शांत होतीं हैं । भाग्यवान(lucky one) ही होते हैं, जिन्हें श्री कृष्ण का सान्धिय प्राप्त होता हैं । अच्छे कर्मों (good works) के कारण भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तों(devotees) को जरूर दर्शन देते हैं। भगवान श्री कृष्ण को हर जगह से संपूर्ण प्रेम मिलता आया है। प्राचीन काल(ancient time) से ही मनुष्य के मार्गदर्शक के रूप में हमेशा उपस्थित रहें हैं । श्री कृष्ण दूरदर्शी थे ,अपनी लीलाएं बहुत सरीखे से करते थे। कृष्ण की लीला अपरंपार है । सभी देवता अनादि, अखंड, अछेद व अभेद सबसे परे (beyond)हैं। द्वारिकाधीश कृष्ण का सम्पूर्ण जीवन ही एक सीख हैं मानव जाति के लिए ,उनके द्वारा किए गए सभी लीलाओं के पीछे रहस्य छिपे होतें हैं तथा श्री कृष्ण द्वारा धारण किये भिन्न प्रकार की वस्तुओं के साथ भी एक विशेष संदेश रहता हैं। कहा जाता हैं कि भगवान कुछ भी अकारण नहीं करतें हैं ,उनकी हर लीला के पीछे सफल तथा सुगम जीवन के सूत्र छिपे होतें हैं जैसे श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास किया था इसके पीछे का सार यह था कि भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें गुरु बनकर आत्मज्ञान से अवगत करवाया तथा सांसारिक जीवन के संग उन्हें आध्यत्मिक जीवन में भी आगे बढ़ने को प्रेरित किया। ज्योतिष बतातें हैं कि श्री बांके बिहारी अपने आप में ही एक शास्त्र हैं ,उनके मुख से निकली हर वाणी ज्ञान के मोती हैं तथा उन्होंने जिन भी वस्तुओं को धारण किया हैं वो सब अपने संग समेटे हुए ज्ञान की ओर संकेत करतें हैं। आइए एक नज़र डालतें हैं श्री कृष्ण द्वारा अपनाए गए वस्तुओं के संग छिपे सन्देश पर :
जन्माष्टमी स्पेशल : वृन्दावन बिहारी जी का माखन मिश्री भोग