वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान के मधुसूदन स्वरूप की उपासना की जाती है। जब कोई व्यक्ति रात्रि में जागरण करके इनकी उपासना करता है, तो जीवन में खुशहाली प्रेम और दुखों से छुटकारा मिलता है। जीवन में सब कुछ मंगल ही मंगल होता है। इस दिन श्री वल्लभाचार्य का जन्म भी हुआ था। पुष्टिमार्गीय वैष्णव के लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है।
एकादशी व्रत से चंद्रमा के हर बुरे प्रभाव को रोका जा सकता है। यहां तक कि ग्रहों के बुरे प्रभावों को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। क्योंकि एकादशी व्रत का प्रभाव सीधा हमारे मन और शरीर दोनों पर पड़ता है। व्रतों में प्रमुख हैं- नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी इनमें सबसे बड़ा व्रत एकादशी को मानते हैं। एकादशी के व्रत से अशुभ संकेतों को भी खत्म किया जा सकता है। वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में हमेशा सुख समृद्धि तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस बार यह एकादशी 7 मई 2021 को मनाई जा रही है,आइए जानते हैं इसकी पूजन कैसे करें।
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इस दिन व्रत रखना बहुत ही शुभ होता है। अगर उपवास न रख पाएं। किसी कारण से तो इस दिन अन्य न खाएं। भगवान कृष्ण के मधुसूदन स्वरूप की उपासना करें। फल और पंचामृत का भोग लगाएं। उनके सामने मधुराष्टक का पाठ करें। इसके अगले दिन प्रातः अन्न का दान करें। इसके बाद अपने व्रत का पारण करें।
शुभ मुहूर्त- एकादशी तिथि गुरुवार, 6 मई 2021 को दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से प्रारंभ होकर शुक्रवार,07 मई 2021 को शाम 03 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। एकादशी व्रत पारण मुहूर्त शनिवार 08 मई 2021 को सुबह 05 बजकर 35 मिनट से सुबह 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
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