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Shani Pradosh Vrat 2021: जानें शनि प्रदोष की पूजन विधि और उसका महत्व

Myjyotish Expert Updated 04 May 2021 12:27 PM IST
Shani Dev
Shani Dev - फोटो : Google
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धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, हर माह  की त्रयोदशी  मतलब की  तेरस को प्रदोष का व्रत रखा जाता है और इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना भी की जाती है। जब त्रयोदशी तिथि शनिवार को पड़ती है तो यह  शनि प्रदोष के नाम से जानी जाती है ।

 शनि प्रदोष क्यों अलग है बाकी प्रदोष से 

त्रयोदशी तिथि के साथ ही शनिवार का दिन भी है तो इसलिए  हम शनि प्रदोष का व्रत कर सकते हैं। माना जाता है कि शनि प्रदोष का व्रत करने से भगवान शिव के साथ ही शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं और हमारे सभी कष्ट दूर करते हैं। 

प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त के बाद की जाती है, इसी वजह से प्रदोष व्रत शनिवार 24 अप्रैल को ही माना जा रहा है, क्योंकि आज ही शाम से त्रयोदशी तिथि लग रही है। मान्यता है कि शनि प्रदोष का व्रत रखने के बाद शनि से जुड़ी वस्तुओं का दान करना चाहिए। ऐसा करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में आपको राहत मिलती है। वहीं कुछ लोग प्रदोष का व्रत संतान की प्राप्ति के लिए भी रखते हैं।

शनि त्रियोदशी पर कोकिलावन शनि धाम में चढ़ाएं 11 किलों तेल और पाएं अष्टम शनि ,शनि की ढैय्या एवं साढ़े - साती के प्रकोप से छुटकारा : 08 मई 2021 | Sade Sati Nivaran Puja

त्रयोदशी तिथि और पूजा मुहूर्त-
वैशाख त्रयोदशी तिथि आरंभ- 08 मई 2021 शाम 05 बजकर 20 मिनट से

वैशाख त्रयोदशी तिथि समाप्त- 09 मई 2021 शाम 07 बजकर 30 मिनट पर
पूजा समय- 08 मई शाम 07 बजकर रात 09 बजकर 07 मिनट तक

पूजा की कुल अवधि 02 घंटे 07 मिनट रहेगी।

प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है इसलिए प्रदोष व्रत 08 मई को किया जाएगा।

ऐसे रखें व्रत और पूजाविधि
शास्त्रों में शिवजी को शनिदेव का आराध्य माना गया है, इसलिए प्रदोष में शनि की पूजा करने से आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है और शनि की दशा में भी राहत मिलती है। शनि प्रदोष में शनि स्त्रोत का पाठ करना भी जरूरी माना जाता है। 

1.प्रदोष व्रत के दिन सुबह शीघ्र स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान शंकर और माता पार्वती को स्नान करवाएं।
2 उसके बाद बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
3 इसके साथ ही भगवान को लौंग, इलाइची, अक्षत, पान और सुपारी भी चढ़ाएं और इत्र भी अर्पित करें। 4प्रदोष अगर शनिवाार को पड़े तो स्टील की कटोरी में तिल का तेल डालिए और अपना चेहरा उसमें देखिए और शनिदेव का ध्यान कीजिए।
5 फिर इस तेल को डाकोत को दान कर दीजिए। इसके साथ ही आप काली उड़द, काले तिल और जौ भी दान कर सकते हैं। 
6इस दिन काली गाय और काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी मीठी रोटी खिलाने से भी आपकी सोई किस्मत जाग जाती है।

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