कोरोना वायरस जिसने एक साल में न केवल भारत को बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश को भी प्रभावित किया है । जिसे आए भले एक साल से ज्यादा हो गया किन्तु वो अभी तक गया ही नहीं है और अब एक फिर उसका प्रभाव तेजी से बढ़ने लगा है । और भारत में ये कहर बन कर आया है ।
भारत में यहाँ कोरोना की दूसरी लहर है जो कि पहले वाले वायरस से बहुत ही खतरनाक है । जिसमें अब अन्य लक्षण में शामिल हो ग ए है ।जैसे सिर दर्द, उंगली में दर्द होना और सारे शरीर में ऐंठन होना भी शामिल हो गया है । बता दें कि इस बार कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर युवाओं और बच्चों में देखा जा रहा है जो कि चिंताजनक बात है।
ऐसा नहीं भारत ने इसे खत्म करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया भारत ने अपना स्वदेशी टीका खोज निकाला है । जिसमें कोवैक्सीन और कोविड शील्ड है । जो की 45 साल से लेकर सभी उम्रदराज लोगों को लगायी जा रही है और अब 1 म ई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को कोरोना वायरस का वैक्सीन लगाया जाएगा ।
किन्तु अगर हम वर्तमान परिस्थितियों नजर डालें तो हम पाएगें इस बार कोरोना वायरस की दूसरी लहर भारत के लिए बहुत खतरनाक साबित हुई जिसके चलते इस बार कोरोना वायरस से ज्यादा संख्या में लोगों की मौत हो रही है । और ऑक्सीजन की कमी भी देश में दिखाई दे रही है जिसकी कमी से भी गंभीर मरीजों की मौत हो रही है ।
इस बीच एक सकारात्मक खबर भी सामने आयी है कुछ ज्योतिषों ने ये भविष्यवाणी की है ।कि 30 अप्रैल से कोरोना वायरस का कहर कम होने लगेगा
आज हम जानेगें ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कैसे लगाए जा रहे हैं कोरोना वायरस के कम होने के आसार
ज्योतिष अपने आकलन से बताते हैं कि ग्रह नक्षत्रों की प्रतिकूल स्थिति के आधार पर ज्योतिष आंकलन यह कहता है कि 30 अप्रैल (April) के बाद कोरोना का असर कम होने लगेगा ।
मई (May) माह में कोरोना का असर कुछ शहरों में कम होगा. कुछ शहरों में धीरे-धीरे घटने लगेगा लेकिन शिव के अवतार और संकट मोचन श्री राम भक्त हनुमान जी के वार यानि मंगलवार 1 जून के बाद कोरोना का असर तेजी से घटेगा और कम होगा ।
1 जून के बाद कोरोना का असर तेजी से घटेगा ज्योतिषियों ने ये पूर्व आकलन लगाया है कि मंगलवार 1 जून के बाद कोरोना का असर तेजी से घटेगा और कम होगा. कोरोना महामारी के मृत्यु दर में कम होगी और संक्रमण में कमी आएगी. जीवन सामान्य होने लगेगा. सभी व्यापारिक गतिविधि और जनजीवन दिनांक 30 जून के बाद सामान्य हो जायेगा. आप सभी को पहले भी बता चुका हूं कि राहु वृषभ में और केतु वृश्चिक राशि में होने के कारण असाध्य बीमारियों का इलाज मिलेगा इस बार राहु और केतु आविष्कार के मूड में आए हैं. भारतीय वैज्ञानिकों को कोरोना महामारी के वैक्सीन में और अधिक सफलता मिलेगी. हिंदू नव संवत्सर 2078 के राजा और मंत्री मंगल होने के कारण अमंगल नहीं होगा ।
ज्योतिष में इस संकट को विषाणुजनित महामारी का संकट कहा गया
ज्योतिषियों के अनुसार ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से देखें तो कोरोना वायरस का सामने आना एवं महामारी का रूप लेना ये मात्र कोई संयोग नहीं है बल्कि इसके पीछे बहुत विशेष ज्योतिषीय कारण और वर्तमान ग्रह स्थितियां हैं. इसी वजह से कोरोना वायरस विश्वस्तर पर एक महामारी के रूप में फैलता जा रहा है. पूरी दुनिया पर कोरोना वायरस का खतरा मंडरा रहा है. सभी इससे बचने के उपाय खोज जा रहे हैं. भारत में ज्योषित विज्ञान भी कोरोना वायरस पर अध्ययन कर रहा है. ज्योतिष में इस संकट को विषाणुजनित महामारी का संकट कहा गया है ।
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सभी ग्रह कोरोना महामारी के लिए जिम्मेदार
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक ने बताया कि चीन के वुहान शहर से 26/12/2019 यानी अमावस्या, मूला, मकर लग्न में (प्रातः 09.49 बजे) सुर्खियों में आया. उस समय छह ग्रह अर्थात् सूर्य, चंद्रमा, बुध, गुरु, शनि और केतु धनु राशि में थे. धनु मकर राशि से बारहवाँ घर (अस्त) था. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मंगल वृश्चिक में, शुक्र मकर राशि में और राहु मिथुन राशि में था. शुक्र को छोड़कर पूरे आठ ग्रह इस महामारी को जन्म देने में सीधे तौर पर शामिल थे. उस समय शुक्र के पास अमृत संजीवनी थी और शुक्र ने कई लोगों को बचा लिया. ऐसे ग्रह संयोग सौ वर्षों में एक बार होते थे. यह सभी ग्रह कोरोना महामारी के लिए जिम्मेदार हैं ।
आगे वो बताते हैं कि जीवन और मृत्यु भगवान के हाथ में है और कोई भी अगर महामारी आरंभ हुई है तो उसका अंत भी समय पर हुआ है. ज्योतिष आंकलन यह कहता है कि शिव के अवतार और संकट मोचन श्री राम भक्त हनुमान जी के वार यानि मंगलवार 1 जून के बाद से कोरोना वायरस के अटैक से राहत मिलना शुरू हो जाएगी और इसके संक्रमण का प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा. एक महीने के अंदर इस महामारी का प्रभाव भी कम होने की उम्मीद है ।
गुरु और केतु का योग हैं जिम्मेदार
आगे ज्योतिषियों ने बताया कि ज्योतिष में राहु और केतु दोनों को संक्रमण (बैक्टीरिया, वायरस) इंफेक्शन से होने वाली सभी बीमारियों और छिपी हुई बीमारियों का ग्रह माना गया है. गुरु जीव और जीवन का कारक ग्रह है, जो हम सभी व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए जब भी गुरु और राहु या गुरु और केतु का योग होता है तब ऐसे समय में संक्रामक रोग और ऐसी बीमारिया फैलती हैं, जिन्हें चिहि्नत करना अथवा समाधान कर पाना बहुत मुश्किल होता है पर इसमें भी खास बात ये है कि राहु के द्वारा होने वाली बीमारियों का समाधान आसानी से मिल जाता है, लेकिन केतु को एक गूढ़ और रहस्यवादी ग्रह माना गया है इसलिए जब भी बृहस्पति और केतु का योग होता है तो ऐसे में इस तरह के रहस्मयी संक्रामक रोग सामने आते हैं, जिनका समाधान आसानी से नहीं मिल पाता और ऐसा ही हो रहा है इस समय कोरोना वायरस के केस में ।
कोरोना वायरस का कारण
ज्योतिषियों ने बताया कि मार्च 2019 से ही केतु धनु राशि में चल रहा है लेकिन चार नवम्बर 2019 को गुरु का प्रवेश भी धनु राशि में हो गया था, जिससे गुरु और केतु का योग बन गया था । जो रहस्मयी संक्रामक रोगों को उत्पन्न करता है. चार नवम्बर को गुरु और केतु का योग शुरू होने के बाद कोरोना वायरस का पहला केस चीन में नवम्बर के महीने में ही सामने आया था. यानि नवम्बर में गुरु-केतु का योग बनने के बाद ही कोरोना वायरस एक्टिव हुआ. इसके बाद एक और नकारात्मक ग्रह स्थिति बनी. 26 दिसंबर को हुआ सूर्य-ग्रहण जिसने कोरोना वायरस को एक महामारी के रूप में बदल दिया. 26 दिसंबर को हुआ सूर्य ग्रहण समान्य नहीं था क्योंकि इस सूर्य ग्रहण के दिन छः ग्रहों के (सूर्य, चन्द्रमा, शनि, बुध, गुरु, केतु) एकसाथ होने से ष्ठग्रही योग बन रहा था, जिससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव बहुत तीव्र हो गया था । भारत में इसका प्रभाव विरोध-प्रदर्शनों में की गयी हिंसा के रूप में दिखा साथ ही कोरोना वायरस के मामले भी बढ़ते गए । कुल मिलाकर नवम्बर में केतु-गुरु का योग बनने पर कोरोना वायरस सामने आया और 26 दिसंबर 2020 को सूर्य ग्रहण के बाद इसने एक बड़ी महामारी का रूप धारण कर लिया ।
गुरु और केतु योग ने पहले भी मचाई थी तबाही
विख्यात कुण्डली विश्ल़ेषक ने बताया है कि सन 1918 में स्पैनिश फ्लू (Spanish Flu) नाम से एक महामारी फैली थीç जिसकी शुरुआत स्पेन से हुई थी. इस महामारी से दुनिया में करोड़ों लोग संक्रमित हुए थे. उस समय भी गुरु-केतु का योग बना हुआ था. सन 1991 में ऑस्ट्रेलिया में माइकल एंगल नाम का बड़ा कम्प्यूटर वायरस सामने आया था, जिसने इंटरनेट और कम्यूटर फील्ड में वैश्विक स्तर पर बड़े नुकसान किये थे और उस समय भी गोचर में गुरु-केतु का योग बना हुआ । सन 2005 में एच-5 एन-1 नाम से एक बर्ड फ्लू फैला था और उस समय में भी गोचर में गुरु-केतु का योग बना हुआ था । ऐसे में जब भी गुरु-केतु का योग बनता है उस समय में बड़े संक्रामक रोग और महामारियां सामने आती हैं । 2005 में जब बृहस्पति-केतु योग के दौरान बर्ड फ्लू (Bird Flu) सामने आया था तब गुरु-केतु का योग पृथ्वी तत्व राशि में होने से यह एक सीमित एरिया में ही फैला था जबकि चार नवम्बर को गुरु-केतु का योग अग्नि तत्व राशि (धनु) में बना है जिस कारण कोरोना वायरस आग की गति से पूरे विश्वभर में फैलता जा रहा है ।
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