माता पार्वती और भगवान शिव की हमलोगों ने कई कथाएं सुनी है। शिव पुराण में भी कई ऐसी घटनाओं का वर्णन किया गया है जिसके बहुत काम लोगों को जानकारी है। जब भी मां पार्वती और शिव जी के संतान का ज़िक्र किया जाता है तो हमेशा गणेश और कार्तिक का नाम ही सामने आता है। पर शिव पुराण के अनुसार, इनके और भी संतान थें जो हम से बहुत काम लोगों को पता है। तो आइए जानते हैं कौन थें वो संतान और कैसे उनकी उत्पत्ति हुई।
शिव पुराण में बताया गया है की भगवान शिव के 6 संतान थें। इसमें तीन पुत्र और तीन पुत्रियों का वर्णन किया गया है। भगवान गणेश और कार्तिक की कहानियों से तो हम सभी अच्छे से वंचित हैं। इनके तीसरे पुत्र का नाम अयप्पा है। दक्षिण भारत में लोग इनकी बड़ी आस्था के साथ पूजा करते हैं। इसके अलावा इनकी तीन पुत्रियां वासुकी, ज्योति और अशोक सुंदरी थी। वह तीनों अत्यंत सुन्दर थीं और उनमे से एक मां पार्वती की सौतेली संतान थीं।
माना जाता है कि मां पार्वती और शिव जी की पहली पुत्री अशोक सुंदरी थीं और उनका जन्म माता ने अपने अकेलेपन को दूर भगाने के लिए दिया था। गुजरात में उनकी पूजा की जाती है।
इनकी दूसरी पुत्री ज्योति थीं। इनसे जुडी दो कथाएं भी प्रचलित है। पहली कथा के अनुसार उनका जन्म शिव जी के तेज से हुआ था। वहीं, दूसरी कथा के अनुसार उनका जन्म मां पार्वती के माथे से निकले तेज से हुआ था। यही कारण है कि इनका नाम देवी ज्योति और मां ज्वालामुखी से जाना जाता है। तमिलनाडु के कई मंदिरों में उनकी पूजा की जाती है।
शिव जी की तीसरी बेटी वासुकी थीं जो मां पार्वती की सौतेली संतान थीं। कहा जाता है कि वासुकी का जन्म शिव जी के पसीने से हुआ था। माना जाता है कि एक बारे भगवान शिव का पसीना सांपों की देवी की प्रतिमा को छू गया था जिसके कारण वासुकी का जन्म हुआ। इन्हे मंसा देवी के नाम से जाना जाता है। बंगाल के कई मंदिरों में उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।