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नवरात्रि का दूसरा दिन, जानें मां ब्रह्माचारिणी की पूजा विधि और मंत्र

Myjyotish Expert Updated 14 Apr 2021 02:41 PM IST
Navaratri
Navaratri - फोटो : Myjyotish
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आज मां के नवरात्रि का दूसरा दिन है इस दिन मां दुर्गा के  रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा करते है। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचारण करने वाली तो ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है तप का आचरण करने वाली।  भक्तों पर  मां ब्रह्मचारिणी की कृपा बनी रहती है। मां के नौ स्वरूपों में से इस स्वरूप की पूजा करने से तप, त्याग, सदाचार आदि में सफलता प्राप्त होती है। जीवन में हर काम करने में संकल्प और बुरे् वक्त में मन व अपने कर्तव्य से कभी विचलित नहीं होते और एक बार आप जिस भी काम को करने में संकल्प ले लेते है तो उसे पूरा कर के ही रहते है। 

माता रानी के इस स्वरूप के बारे में कुछ विशेष बातें।
माता ब्रह्मचारिणी देवी का रूप अति पूर्ण ज्योतिर्मय एवं आकर्षण है। मां के दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल हमेशा रहता है।
मां समस्त चर और अचर जगत की विधाओं की ज्ञाता कहीं जाती है। ब्रह्मचारिणी माता का पहनावा एक दम सरल और सीधा साधा है। माता बहुत ही जल्दी भक्तों से प्रसन्न हो कर तुरंत वरदान दें देती है।
 

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 माता ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्रमाना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी के इस रूप के पीछे एक बहुत बड़ी कहानी है। ब्रह्मचारिणी माता ने हजारों वर्षों तक कठिन तपस्या और निराहार व्रत करने के बाद भगवान महादेव  प्रसन्न हए। माता का पूजा


मंत्र-
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां की पूजा विधि-
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में सुख- समृद्धि एवं ज्ञान में वृद्धि होती है। भक्तों को पूजा-पाठ करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर स्नान कर के मां की पूजा के लिए पीले या सफेद वस्त्र को धारण करें। माता को सबसे पहले पंचामृत से स्नान करवाएं। इसके बाद पूजन सामग्री से की उपासना करें। दूध या दूध से बने व्यंजन का मां को भोग लगाए क्योंकि  माता को दूध अति प्रिय है। उसके बाद दीप जलाकर मां की आरती करें और दुर्गा चालीसा, दुर्गा मंत्र या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसे भक्तों पर मां का आर्शीवाद हमेशा प्राप्त होता है।

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