myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

Home ›   Astrology Services ›   Puja ›  

On Holi Offer Gulal To Bihariji In Vrindavan

होली पर वृंदावन बिहारी जी को चढ़ाएं गुजिया और गुलाल - 18 मार्च 2022

By: Myjyotish Expert

Rs. 501
Buy Now

पूजा के लाभ

  • इस पूजा द्वारा जीवन में प्यार और खुशी का आगमन होता है.  
  • अपने प्रिय साथी को पाने में आप सफल होते हैं. 
  • करियर को बढ़ावा देने के लिए यह पूजा बेहद फायदेमंद होती है. 
  • व्यवसाय में अच्छे सौदे और लाभ प्राप्त होते हैं.
  • यह विभिन्न गंभीर और पुरानी बीमारियों से स्वास्थ्य और मुक्ति दिलाती है.
  • यह पूजा बुरी, नकारात्मक ऊर्जाओं और शत्रुओं को दूर करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है.
  • यह पूजा केतु ग्रह के अशुभ प्रभावों को खत्म करने में मदद करता है.
  • अच्छी संतान का वर पानी के लिए  
  • यह पूजा विभिन्न इच्छाओं को पूरा करने के लिए भी किया जाता है.

पौराणिक काल से जुड़ा होली का महत्व 
होली पर्व एवं होली पूजन का महत्व युगों युगों से चला आ रहा है. त्रेता युग से ही होली का रंग दिखाई देता है राजा रघु के समय से ही इस पर्व को देखा जाता है, जहां भगवान के धूली वंदन से भी इसे चाहा है. प्राचीन काल से ही होली का पर्व कई दिनों पूर्व से ही आरंभ हो जाता है. भगवान श्री कृष्ण और शिव दोनों का ही स्वरुप इस पर्व से संबंधित है जहां मथुरा में इसका रंग देख्ने को मिलता है वैसे ही काशी में भी इस पर्व की अनोखी छटा देखने को मिलती है. होली का आरंभ फाल्गुन माह के साथ हो जाता है और देश भर में होली के अवसर पर धार्मिक और सांकृतिक उत्सव आरंभ हो जाते हैं. 

होली के दिन, लोग दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों से मिलते हैं और एक-दूसरे पर रंग लगाते हैं, इसलिए इस दिन को रंगों का त्योहार भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि हर रंग अलग-अलग चीजों का प्रतीक होता है. उदाहरण के लिए, लाल प्रेम और उर्वरता का प्रतीक है, हरा रंग नई शुरुआत का प्रतीक है और नीला भगवान कृष्ण के रंग का प्रतिनिधित्व करता है. वहीं प्रेम का रंग राधा जी में समाया हुआ है अत: इस समय पर भगवान को अर्पित किया गया रंग जीवन में सभी रंगों को भर देने वाला होता है. होली पूजा करने का महत्व यह है कि ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति अपने सभी भयों पर विजय प्राप्त कर सकता है

श्रीबांकेबिहारी मंदिर का इतिहासः 
सन् 1860 ई. में निर्मित श्रीबाँके बिहारी जी के मंदिर में स्थापित प्रतिमा को स्वयं श्री कृष्ण भगवान ने अपने अनंत भक्त स्वामी हरिदास को प्रसिद्ध निधिवन में प्रदान की थी। श्री हरिदास जी की भक्ति से प्रसन्न भगवान कृष्ण ने श्रीराधा जी समेत साक्षात् उन्हें दर्शन प्रदान किए। दर्शनोपरांत जब भगवान अदृश्य हुए तो काले रंग की अपने आकार की मूर्ति में यहीं विराजमान हो गए।

हमारी सेवाएं :-

गुलाल व् गुजिया अर्पित करने  से पहले हमारे गोस्वामी  जी द्वारा फ़ोन पर आपको संकल्प करवाया जाएगा। 

 


 

 

जानिये हमारे पंडित जी के बारे में

ये भी पढ़ें



Ratings and Feedbacks

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X