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Gemstone For Rahu-Ketu: राहु और केतु की महादशा से बचने के लिए पहने ये रत्न

Nisha Thapaनिशा थापा Updated 07 May 2024 04:48 PM IST
राहु-केतु की महादशा को कम करने के लिए रत्न
राहु-केतु की महादशा को कम करने के लिए रत्न - फोटो : My Jyotish

खास बातें

Gemstone For Rahu-Ketu: यदि आपने कुंडली में राहु या केतु की महादशा चल रही है तो आपको शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन हमाने ज्योतिष शास्त्र में इनकी महादशा को कम करने के लिए कुछ रत्नों के विषय में बताया गया है।
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Gemstone For Rahu-Ketu: राहु और केतु छाया ग्रह हैं, जिनका प्रभाव मनुष्य के जीवन में नकारात्मक और सकारात्मक तरीके से पड़ता है। यदि आपकी कुंडली में राहु या केतु की महादशा चल रही है तो आपको शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन हमारे ज्योतिष शास्त्र में इनकी महादशा को कम करने के लिए कुछ रत्नों के विषय में बताया है।

राहु ग्रह का प्रकोप

राहु मस्तिष्क है, इसलिए वह हमारे दिमाग को अपने वश में कर लेता है। यदि राहु की दशा ठीक नहीं चल रही है तो आप षड्यंत्र, अंधविश्वास, माया, भ्रम, रहस्यमय घटनाओं के शिकार बन सकते हैं। इसके अलावा मन अशांत रहता है, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं, नौकरी-व्यवसाय में हानि होने लगती है। 

केतु का प्रकोप

केतु चूंकि शरीर है, इसलिए जिस व्यक्ति की कुंडली में केतु की महादशा आती है उसे शारीरिक कष्ट झेलना पड़ता है। ऐसी स्थिति में जातकों के जोड़ों में दर्द, चर्म रोग, संतान प्राप्ति में समस्या, बालों की समस्या और नसों में कमजोरी जैसे समस्या उत्पन्न होने लगती हैं। 

राहु के प्रकोप से बचाव के लिए रत्न

गोमेद रत्न: यह रत्न धारण करने से राहु ग्रह शांत होता है और जीवन में सकारात्मता का संचार होता है। इसके प्रभाव से अशांत दिमाग शांत होकर एकाग्रता की ओर बढ़ता है।
 

केतु के प्रकोप से बचाव के लिए रत्न

लाजवर्द रत्न: यह रत्न केतु की महादशा को कम करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। केतु ग्रह के प्रकोप के कारण जीवन में होने वाली शारीरिक कष्ट व पीड़ा दूर होते हैं। 

राहु- केतु कैसे बने

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत निकला, तो भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार धारण किया। मोहिनी अवतार भगवान विष्णु ने एक तरफ देवताओं को दूसरी तरफ राक्षसों को कतार में बिठाया और उसी बीच एक राक्षस स्वरभानु देवताओं की तरफ आकर बैठ गया। जब मोहिनी अवतार देवताओं को अमृत पीला रहे थे तो उसी बीच राक्षस के गले में अमृत की एक बूंद चली गई और उसी वक्त भगवान को एक बात का अहसास हुआ और उन्होंने उस राक्षस का सिर धड़ से अलग कर दिया। हालांकि अमृत चखने के कारण वह दो भागों में हमेशा के जीवित रह गया। सिर वाले हिस्सा राहु तथा शरीर केतु बना। 

यदि आपकी कुंडली में भी राहु या केतु की महादशा चल रही है और आप भी यह रत्न धारण करना चाहते हैं, तो उससे पहले एक बार ज्योतिष से इसके लिए परामर्श जरूर ले लें। 
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