खास बातें
कुंडली में ग्रहों की स्थिति बदलती है, जिसके कारण कई कुंडली में कभी शुभ तो कभी अशुभ योग बनते हैं। इन्हीं अशुभ योगों में से एक कालसर्प दोष है, जिसे बहुत ही अशुभ योग माना जाता है। इस दोष के कारण जीवन में बहुत से कष्ट और अनेक प्रकार की बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं।
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हिन्दू धर्म में बच्चे के जन्म उपरांत ही ग्रहों एवं नक्षत्रों की स्थिति को देखकर ही उसकी कुंडली बनाई जाती है। वक्त से साथ कुंडली में ग्रहों की स्थिति बदलती रहती है, जिसके कारण कुंडली में कभी शुभ, तो कभी अशुभ योग बनते हैं। इन्हीं अशुभ योगों में से एक कालसर्प दोष है, जिसे बहुत ही अशुभ योग माना जाता है। यह दोष तब बनता है जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में फंस जाते हैं जिससे सर्प जैसी स्थिति बन जाती है। इस दोष के कारण जीवन में बहुत से कष्ट और अनेक बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं।
कालसर्प दोष के कारण
कालसर्प दोष के कारण
- जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में स्थित होते तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है।
- कालसर्प दोष की स्थिति में राहु और केतु कुंडली के 6वें और 8वें भाव में या 12वें और 2वें भाव में होते हैं।
- कुंडली में कोई भी ग्रह राहु एवं केतु की परिक्रमा नहीं करते हैं।
कालसर्प दोष का प्रभाव
कालसर्प दोष का प्रभाव हर एक व्यक्ति की कुंडली में उनके भाव के अनुसार भिन्न हो सकता है। लेकिन कालसर्प दोष के कारण जीवन में आने वाली बाधाएं निम्न हैं-
- व्यवसाय में बाधा
- धन की हानि
- स्वास्थ्य समस्याएं
- विवाह में बाधाएं
- संतान प्राप्ति में कठिनाई
- मानसिक अशांति
कालसर्प दोष का निवारण
कालसर्प दोष का निवारण जातक की कुंडली को देखकर ही किया जा सकता है। क्योंकि हर एक व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अलग होती है और उसका निवारण भी उसी के आधार किया जाता है। लेकिन कुछ ऐसे उपाय हैं, जो सामान्यत: निवारण के लिए किया जाता है।
- नाग पंचमी के दिन नाग देवता का पूजन करें।
- नाग पंचमी के दिन व्रत रखें।
- सोमवार के दिन व्रत रखें और भगवान शिव की पूजा करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का जप रोजाना करें।
हालांकि कालसर्प दोष निवारण के लिए आपको एक बार वैदिक पंडित को कुंडली जरूर दिखा लेनी चाहिए, क्योंकि ग्रहों की दशा के आधार पर ही निवारण किया जाता है।