हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक हर माह की चतुर्थी की तिथि को गणेश चतुर्थी होती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी संकट खत्म हो जाते हैं । गणेश ज्ञान के देवता हैं । जिनके पूजन से व्यक्ति की सभी अज्ञानता नष्ट हो जाती है । वहाँ व्यक्ति जो गणेश की पूजा करता है । वो संसार के अज्ञान से मुक्त होकर ज्ञान प्राप्त करता है ।
आज हम जानेगें क्या है विनायक चतुर्थी की व्रत कथा
व्रत की पौराणिक कथा
एक बार माता पार्वती ने शिवजी के साथ चौपड़ खेलने की इच्छा जताई । शिवजी ने चौपड़ खेलना शुरू किया लेकिन इस खेल में मुश्किल यह थी कि हार-जीत का फैसला कौन करेगा । इसके लिए घास-फूस से एक बालक बना कर उसमें प्राण प्रतिष्ठा कर दी और कहा कि तुम हार-जीत का फैसला करना।
इसके बाद तीन बार माता पार्वती जीतीं। लेकिन उस बालक ने कहा कि महादेव जीते। इस पर माता पार्वती को बहुत गुस्सा आया और उस बालक को कीचड़ में रहने का श्राप दिया।
बालक के माफी मांगने पर माता पार्वती ने कहा कि एक साल बाद नागकन्याएं यहां आएंगी। उनके कहे अनुसार गणेश चतुर्थी का व्रत करने से तुम्हारे कष्ट दूर होंगे ।
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इसके बाद उस बालक ने गणेश जी की उपासना की और भगवान गणेश प्रसन्न हो गए। गणेशजी ने उसे अपने माता-पिता यानी भगवान शिव-पार्वती को देखने के लिए कैलाश जाने का वरदान दिया।
बालक कैलाश पहुंच गया। वहीं माता पार्वती को मनाने के लिए शिवजी ने भी 21 दिन तक गणेश व्रत किया और पार्वतीजी मान गईं।
इसके बाद माता पार्वती ने भी अपने पुत्र से मिलने के लिए 21 दिन तक व्रत किया और उनकी यह इच्छा पूरी हो गयी।
माना जाता है वो बालक ही भगवान कार्तिकेय हैं।
विनायक चतुर्थी का महत्व
विनायक चतुर्थी पर श्री गणेश की पूजा दिन में दो बार की जाती है. एक बार दोपहर में और एक बार मध्याह्न में. मान्यता है कि विनायकी चतुर्थी के दिन व्रत करने और इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि प्राप्ति होती है। चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
विनायक चतुर्थी के बारे में मान्यता है कि इसके प्रभाव से जीवन में आ रही रुकावटें दूर हो जाती है। इसके अलावा इस व्रत को विधि-पूर्वक करने से मनोकामना पूरी होती है। इस दिन गणपति की पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन-दौलत के साथ ही ज्ञान और बुद्धि की भी प्राप्ति होती है ।
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