ऐसा मंदिर जहाँ भक्त भगवान की तरफ पीठ करके करते है पूजा
भारत मे कई बड़े मंदिर है जहाँ भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए दूर दूर से आते है। कई मंदिर तो ऐसे भी है जहां भक्त विदेश से भी आते है। लेकिन क्या आपने कभी देखा या सुना है ऐसे मंदिर के बारे में जहाँ भक्त भगवान की ओर पीठ करके उनकी पूजा करते है। सुनने में हैं ना यह अजीब। आज हम आपको ऐसे ही मंदिर के बारे में बताएंगे जहाँ भक्त भगवान की ओर नही देखते हैं।
देवभूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड हिंदू धर्म के अनुयायियों के बीच काफी प्रसिद्ध है। उत्तराखंड के अलग अलग राज्यों में अनेक प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तरकाशी के नेटवाड़ कस्बे में ऐसा ही एक अनोखा मंदिर है। यह मंदिर न्याय के देवता भगवान पोखूवीर का मंदिर है। भक्तों के बीच भगवान की काफी मान्यता है। इस मंदिर को सबसे अनोखा बनाती है यहाँ पर भक्तों द्वारा पूजा करने की विधि।
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इस मंदिर में भक्त भगवान की तरफ नहीं देखते हैं वह उनसे पीठ करके उनकी पूजा अर्चना करते हैं। पोखूवीर मंदिर में भगवान का कमर से नीचे का हिस्सा मौजूद है और उनका मुँह पाताल में है। कहते है उनका कमर से नीचे का हिस्सा अर्धनंगन अवस्था में है इसी कारण से उनको इस रूप में देखना अशिष्टता है। इसी कारण से मंदिर के पुजारी और भक्त देवता की ओर पीठ करके पूजा करते हैं।
भगवान पोखूवीर न्याय के देवता हैं। भक्तों का मानना है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर में हाजिरी लगाता है उसे अविलंब न्याय की प्राप्ति होती है। यह विश्वास भक्तों के बीच सदियों से चला आ रहा है। भक्त बताते हैं कि जो कोई भी भगवान से न्याय की याचना करता है उससे बिल्कुल सही और निष्पक्ष न्याय मिलता है।
भगवान पोखूवीर से कई मान्यताएँ जुड़ी हैं। भगवान पोखूवीर को कर्ण का प्रतिनिधि और भगवान शिव का सेवक माना जाता है। कहते हैं भगवान अपने अनुयायियों के प्रति कठोर स्वभाव रखते हैं और उनका स्वरूप भी डरावना है।
भगवान पोखूवीर से भक्तों की आस्था सदियों से जुड़ी हुई है। पुराने समय में जब भी किसी व्यक्ति को न्याय पाना होता था तो वह निष्पक्ष न्याय के लिए भगवान से प्रार्थना करता था। भगवान निष्पक्ष न्याय कर जो कोई भी अपराधी होता है उसे किसी न किसी रूप में दंड अवश्य देते हैं।
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भगवान पोखूवीर से जुड़ी एक कहानी सबसे प्रचलित कथा है जिसका संबंध महाभारत काल से मिलता है। कहते है कि भगवान पोखूवीर महाभारत काल मे वभ्रुवाहन था। जिसका वध भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध से पहले शीश काटकर किया था।
यह क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ कौरवों की पूजा की जाती है। यहाँ पर आपको दुर्योधन के साथ साथ कर्ण का मंदिर में मिलेगा।
न्याय के देवता पोखूवीर का क्षेत्रवासियों में इतना खौफ है कि यहाँ पर आज भी लोग चोरी व अपराध करने से डरते हैं। साथ ही यहाँ के लोगों की भगवान मे इतनी श्रद्धा भी है कि जब किसी भी प्रकार की विपत्तियां या संकट आता है तो वह पोखू देवता से ही मदद की गुहार लगाते हैं।
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