इस शिव मंदिर मे पूजा करने से होती है वर्षा
भारत में अनेक मंदिर अपने अद्भुत चमत्कार के कारण प्रसिद्ध हैं। वही कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो अपने आप में एक अनूठा इतिहास समेटे हुए है। ऐसे भी मंदिर है जिनके नाम पर उस क्षेत्र का नाम पड़ा और आज भी वह उसी नाम से जाना जाता है। आज हम आपको मध्यप्रदेश के ऐसे ही मंदिर के बारे में बताएंगे।
इंदौर शहर से सभी लोग परिचित होंगे। इंदौर को मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है। क्या आप जानते हैं इसका नाम इंदौर कैसे पड़ा?
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इंदौर नाम कनाडा मे भगवान शिव के 4500 साल पुराने मंदिर से मिलता है। जब हम भारत के इतिहास में पीछे मुड़कर देखते हैं तब हमें भारत में कई प्राचीन मंदिर मिलते हैं। इन्हीं में से एक मंदिर है भगवान शिव को समर्पित जो मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में पंढरीनाथ थाने के पीछे है। यह इस क्षेत्र का सबसे प्राचीन शिव मंदिर है जिसे इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। प्राचीन समय में इंदौर नगरी माँ अहिल्या की नगरी कही जाती थी। इसमें कई मंदिर स्थित है और सभी का अपना अलग अलग किस्सा भी है। आज हम आपको इंद्रेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ें कुछ रोचक तथ्य बताएंगे।
मान्यताओं के अनुसार एक बार भगवान इंद्र को सफेद दाग की बीमारी हुई थी। उस समय उन्होंने भगवान शंकर की तपस्या की थी। कहते हैं यह वही मंदिर है जिसमें भगवान इंद्र ने तपस्या की थी। जिसके कारण इस मंदिर का नाम इंद्रेश्वर महादेव मन्दिर पड़ा। इस मंदिर में महादेव की स्थापना स्वामी इंद्रपुरी ने की थी। जो इस मंदिर में शिवलिंग स्थापित है उसे कान्ह नदी से निकालकर प्रतिस्थापित किया गया था। वही बात करे मंदिर के जीर्णोद्धार की तो इस मंदिर का जीर्णोद्धार तुकोजीराव प्रथम ने करवाया था।
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स्थानीय लोग बताते हैं कि जब राज्य में कोई भी परेशानी आती थी या आज भी आती है तो सभी लोग इंद्रेश्वर महादेव की शरण में जाते हैं। यह मंदिर इंदौर शहर का सबसे प्राचीन मंदिर है। जो पंढरीनाथ में करीब 4.5 साल से अपनी ऐतिहासिक धरोहर को समेटे हुए बड़ी ठाठ से खड़ा हुआ। इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के नाम से उत्पन्न हुआ नाम इंदूर शहर का नाम पड़ा था। जिसे आज इंदौर के नाम से जाना जाता है।
इंदौर शहर में जब भी अल्प वर्षा होती है। जिसके कारण शहरवासियों को जल संकट का सामना करना पड़ता है। तब यहाँ आकर भक्त लोग भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। अभिषेक के बाद भगवान शिव को जलमग्न कर दिया जाता है। जिसके बाद लोगों को जलसंकट से छुटकारा मिल जाता है और वर्षा होती है। हिन्दू धर्म मे बारिश का संबंध इंद्र से रह है एक इस कारण से भीमंदिर का नाम इंद्रेश्वर मंदिर है। इंद्रेश्वर महादेव मंदिर का जिक्र शिवपुराण में भी मिलता है जो इस मंदिर की प्राचीनता की पुष्टि करता है।
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