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कब और क्यों मनाई जाती है महानिशा पूजा ? जानें महत्व

Myjyotish Expert Updated 20 Mar 2021 11:03 AM IST
Mahanisha Pooja
Mahanisha Pooja - फोटो : Myjyotish
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अष्टमी जिस रात्रि को प्राप्त होती है  उसी तिथि की रात्रि को महानिशा पूजा कहते हैं
 इस दिन माता दुर्गा और माता काली  की पूजा अर्चना की जाती है इनके पूजन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है आज महानिशा पूजा के बारे में विस्तार से जानेंगे

क्या है महानिशा पूजा

भारत में दो तरह की नवरात्रि मनायी जाती है जिसमें आश्र्विन में आने वाली नवरात्रि दूसरी चैत्र मास में आने वाली नवरात्रि होती है अष्टमी जिस रात्रि को प्राप्त होती है  उसी तिथि की रात्रि को महानिशा पूजा कहते हैं  

जिसमेंं माता दुर्गा और माता काली की पूजा अर्चना की जाती है जिससे सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है साथ ही माता को प्रसन्न करने के लिए तंत्रिका पूजा की जाती है और बलि भी दी जाती है बलि पूर्णतया सात्विक होती है जो लोग रोग से परेशान हैं वो इस रात्रि को नदी के तट पर स्थित शिव मंदिर पर विशेष पूजा कर सकते हैं

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महानिशा पूजन की कुछ महत्वपूर्ण बातें

मुख्यतया इस रात्रि में माता दुर्गा  और काली पूजा की जाती है माता को प्रसन्न करने के लिए तांत्रिक पूजाएं कुछ विशेष विधि से की जाती है माता काली के स्थान पर हवन पूजन होता है  नारियल की बलि दी जाती है दुर्गासप्तशती के कुछ विशेष पृष्ठों का पाठ होता है राजनीतिज्ञ लोग अपने विजय के लिए इस रात्रि बंगलामुखी अनुष्ठान भी करवा सकते हैं पीत वस्त्रों में कुश के आसन पर और हल्दी की माला से इसका वृहद अनुष्ठान तांत्रिक इस रात्रि करते हैं माता काली को प्रसन्न करने के लिए यह रात्रि बहुत ही उपयुक्त है कुछ तांत्रिक माता का भोग प्रसाद वहीं मंदिर में ही पकाते हैं इस रात्रि सिद्धिकुंजिकस्तोत्र का पाठ 18 बार करके सप्तश्लोकी दुर्गा और बंगलामुखी मंत्र पढ़कर माता को प्रसाद अर्पित कर भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया जाता है उस  रात्रि माता काली से कई सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं इस रात्रि दुर्गासप्तशती के पाठ के साथ साथ श्री सूक्त का भी पाठ करके धन, पद और प्रतिष्ठा की प्राप्ति की जा सकती है ऋग्वैदिक श्री सूक्तं का पाठ करके हवन करने से धन का आगमन होता है इस रात्रि कई यंत्र भी तांत्रिक बनाते हैं साथ ही उसे ताबीज में भरकर धारण किया जा सकता है

इस प्रकार महानिशा में पूजा का लाभ लेकर अपने जीवन को धन्य करें माता काली को प्रसन्न करके कई तांत्रिक साधना से माता से मनोवांछित फल की प्राप्ति भी कर सकते हैं बंगलामुखी अनुष्ठान से विजय की प्राप्ति कर सकते हैं .

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