भगवान शिव के इस महामृत्युंजय मंत्र का विधि विधान से जाप करने से अकाल मृत्यु टलती है। अगर आपको किसी प्रकार के भी अनिष्ट होने की आशंका हो तो तुरंत उसे दूर करने के लिए उसकी शांति के लिए , शास्त्रों के अनुसार पूरे विधि विधान से श्री महादेव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से देवों के देव महादेव प्रसन्न होकर मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का वरदान देते हैं व उस व्यक्ति को रोगों से मुक्त करके उसे दीर्घायु प्रदान करते हैं।
क्या आपको पता है कि इस मंत्र को महामृत्युंजय मंत्र क्यों कहते हैं ?
दरअसल मृत्यु पर विजय प्राप्त करने की वजह से ही इस मंत्र को महामृत्युंजय मंत्र कहा जाता है। इस महामृत्युंजय मंत्र की अपार महिमा का वर्णन विभिन्न पौराणिक ग्रंथों में मिला है जैसे शिव पुराण , काशी खंड और महापुराण ।
महामृत्युंजय मंत्र का महत्व व अर्थ :
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्। मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
भावार्थ - हम सभी भक्त भगवान भोले शंकर की पूजा आराधना करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं। जो पूरे संसार का पालन पोषण करते हैं, जो हर सांस में जीवन शक्ति का प्रवाह करते हैं। उन भगवान भोलेनाथ से हमारी यह प्रार्थना है कि वह हमें मृत्यु के सभी बंधनों से मुक्त कर दें, ताकि हमें मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।
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महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से कभी भी धन या संपत्ति से जुड़ी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। इस मंत्र का विधि-विधान से उच्चारण करने वाले व्यक्ति को जीवन में कभी भी धन-धान्य से जुड़ी दिक्कत नहीं होती है और वह व्यक्ति इस मंत्र का उच्चारण करके निर्भय और निर्भीक बनता है इसके साथ ही उसके सभी प्रकार के रोगों का नाश हो जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र का जाप बहुत ध्यान से एकाग्रचित्त होकर करना चाहिए क्योंकि यदि इसका उच्चारण या ध्यान करते वक्त अगर आपसे कोई भी गलती होती है तो यह आपको भारी पड़ सकता है।
इस मंत्र का उच्चारण मंद स्वर में किया जाता है, जिसकी ध्वनि आपके होठों से बाहर सुनाई ना दे।
भगवान शिव का महामृत्युंजय जप करते समय भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष धूप दीप जलाकर रखें। मंत्र का उच्चारण सदैव पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें और जितने दिन तक आप इस मंत्र का जप कर रहे हैं उतने दिन तक तामसिक भोजन से दूरी बनाएं।
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