भगवान श्री हरि विष्णु के हर चित्र व मूर्ति में उन्हें हाथ में सुदर्शन चक्र धारण किए हुए देखा जाता है। सुदर्शन चक्र भगवान श्री विष्णु का एक अमोघ शस्त्र ( Infallible Weapon) है। सुदर्शन चक्र अस्त्र के रूप में प्रयोग किए जाने वाला एक ऐसा चक्र है जो चलाने के बाद अपने लक्ष्य ( Aim ) की प्राप्ति करके ही वापस आता है।
क्या आप जानते हैं कि यह सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु को किसने दिया?
इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं कि सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु को किस भगवान ने दिया और क्यों दिया:
ऐसा माना जाता है कि इस चक्र को भगवान श्री विष्णु ने गढ़वाल के श्रीनगर स्थित कमलेश्वर शिवालय में तपस्या करने के बाद प्राप्त किया था। ये चक्र भगवान श्री विष्णु को 'हरिश्वरलिंग' से प्राप्त हुआ था। ये सुदर्शन चक्र भगवान शिव शंकर ने ही जगत कल्याण के लिए भगवान श्री हरि विष्णु को दिया था। पुराणों द्वारा यह उल्लेख मिला है कि इस चक्र ने सभी देवताओं की रक्षा तथा सभी राक्षसों (Monsters) के संहार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
आइए तो एक बार इस सब के बारे में विस्तार से जानते हैं कि कैसे भगवान विष्णु ने भगवान शिव शंकर की आराधना की और कैसे भगवान शिव ने विष्णु जी को चक्र प्रदान किया:
1. एक बार जब दैत्यों और राक्षसों के अत्याचार (Torture) बहुत बढ़ गए तब सभी देवता भगवान श्री विष्णु के पास गए और भगवान विष्णु को जाकर अपनी व्यथा सुनाई। देवताओं की कथा शंकर भगवान विष्णु चिंतित हुए।
2. तब भगवान श्री विष्णु ने कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा - अर्चना प्रारंभ की। श्री विष्णु महादेव के हजारों नामों से उनकी स्तुति करने लगे। वे प्रत्येक भगवान शिव के नाम का स्मरण कर उन पर एक कमल का पुष्प अर्पित करते थे। तभी भगवान शंकर, भगवान विष्णु की परीक्षा लेने उनके द्वार गए और एक हजार कमल में से एक कमल का फूल कहीं छुपा दिया। भगवान शिव की माया के कारण भगवान विष्णु को यह पता न चल सका। एक फूल कम पाकर भगवान विष्णु उसे ढूंढने लगे परंतु काफी ढूंढने के बाद भी वह फूल नहीं मिला।
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3. तब भगवान विष्णु ने एक फूल की पूर्ति के लिए अपना एक नेत्र निकालकर भगवान शिव को अर्पित कर दिया। भगवान विष्णु की भक्ति देखकर भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हुए और श्रीहरि के समक्ष प्रकट होकर वरदान मांगने को कहा।
तब भगवान विष्णु ने दैत्यों के नाश के लिए अजेय शस्त्र का वरदान मांगा।
4. फिर भगवान शंकर ने उन्हें वरदान ( Boon ) स्वरूप सुदर्शन चक्र प्रदान किया और कहा कि तीनों लोकों में इसकी बराबरी करने वाला कोई और शस्त्र कभी नहीं होगा। भगवान श्री हरि विष्णु ने उस चक्र से दैत्यों का संहार ( Annihilation) किया।
5. इस प्रकार सभी देवताओं को दैत्यों से मुक्ति मिली तथा सुदर्शन चक्र ( Sudarsan Chakra ) भगवान विष्णु के स्वरूप के साथ सदैव के लिए जुड़ गया।
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