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ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हिन्दू धर्म में ग्रह-नक्षत्रों को बहुत मान दिया जाता है। शादी-विवाह से पहले कुंडली मिलान एवं ग्रहों की स्थिति को ध्यान में रखकर ही सभी कार्य को पूर्ण किया जाता है। विवाह से पूर्व किसी प्रकार की बाधा न आए एवं वैवाहिक जीवन की सुखद शैली के लिए गौरी शंकर की पूजा की जाती है। इनकी उपासना करने से शनि व राहु द्वारा उत्पन्न किए अशुभ प्रभावों का नाश होता है। पूजा के माध्यम से अन्य ग्रहों के दुष्प्रभावों का भी विनाश होता है। शिव शंकर और माता पार्वती को प्रसन्न करने हेतु महादेव का अभिषेक करना चाहिए तथा माँ पार्वती को श्रृंगार अर्पित किया जाना चाहिए।
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विवाह में आ रही बाधाओं का निवारण करने हेतु कुंवारी कन्याओं द्वारा शिव शंकर के सोलह सोमवार का उपवास रखा जाता है। इन पूजा क्रमों से न केवल बाधाएं दूर होती हैं परन्तु वैवाहिक जीवन भी बहुत सुखद रहता है। शिव जी और पार्वती जी की कृपा से भक्तों के जीवन में खुशियों का वास होता है। विवाह न होने के कारण केवल लड़का या लड़की ही नहीं बल्कि उनका परिवार भी बहुत परेशान रहता है। कई बार ऐसा होता है की कठिन संघर्ष के बाद भी विवाह नहीं हो पाता और वहीं दूसरी ओर किसी-किसी की चट मंगनी पट विवाह भी हो जाती है। ऐसे में भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद अनिवार्य है। वह अपने भक्तों के सभी दुखों का नाशकर उन्हें सुखद जीवन प्रदान करेंगे।
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