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गंगाजल की पवित्रता से दूर हो जाते हैं वास्तु दोष

MyJyotish Expert Updated 12 May 2020 07:21 PM IST
Vaastu faults get rid of Ganga water's purity
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गंगा नदी भारत वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण नदी है। इसमें बहता जल पवित्रता का प्रतीक है। भारतीय पुराणों में अपने महत्व और सौंदर्य के कारण बार - बार आदर सहित व्याख्यान के साथ गंगा नदी की गाथाएं प्रचलित हैं। भारत में इसकी महत्वता को ध्यान में रखते हुए बहुत सी विदेशी साहित्य में भी गंगा नदी की प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किए गए हैं।



मान्यताओं के अनुसार महादेव शंकर की जटाओं में गंगा नदी का वास है। वहीं से उत्पन्न होकर उनकी धाराएं देश भर में पहुँचती है। यह भारत की राष्ट्रीय नदी के रूप में भी जानी जाती है। गंगा नदी की प्रधान शाखा भागीरथी है जो गढ़वाल में हिमालय के गौमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती है।

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गृह स्थान अर्थात घर एक मनुष्य के जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाता है। घर वह स्थान है जहां वह अपने परिवार के साथ निजी संपत्ति का भंडारण करके रहता है। प्रत्येक व्यक्ति की उसके घर के प्रति एक अनोखी भावना होती है जो घर के प्रति उसके प्रेम और लगाव से भरी होती है।

एक व्यक्ति अपना घर बहुत सहजता से बनाता है और उससे जुड़ी उसकी भावनाएं अमूल्य होती है। परन्तु यही घर यदि उसके सफलता के मार्ग की अड़चन बन जाएं तो उसका जीवन उथल -पुथल हो जाता है। वास्तु दोष का मनुष्य जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि एक घर वास्तु के हिसाब से निर्माण न किया गया हो तो उसके द्वारा उत्पन्न हुए दोष व्यक्ति की तरक्की की काटा भी बन सकते है।

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गंगा नदी का पवित्र जल जीवन के प्रारंभ से अंत तक बहुत से कार्यों में अहम भूमिका निभाता है। गंगा स्नान से विभिन्न प्रकार के रोग सही हो जाते हैं। इससे पाप व कष्ट का नाश होता है। यह शुद्धता का प्रतीक है, इसके शुद्ध जल का छिड़काव घर में करने से वास्तु दोष का नाश होता है। घर में नियमित रूप से गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिससे घर का वातावरण भी सुखद रहता है।

घर की समस्त परेशानियों का निवारण होता है और सुख - संपदा सदैव बनी रहती है। गंगाजल के अर्पण से भगवान शिव भी बहुत प्रसन्न होते हैं तथा उनकी कृपा भी भक्तों पर बनी रहती है। प्रत्येक मांगलिक कार्य व पूजा-पाठ में गंगाजल का महत्व है। घर की शुद्धता में इसका बहुत बड़ा स्थान माना जाता है।

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