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गरुड़ पुराण के अनुसार, अकाल मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है ?

Myjyotish Expert Updated 10 Apr 2021 01:48 PM IST
Astrology
Astrology - फोटो : Myjyotish
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हम सभी के जन्म और मृत्यु का समय निश्चित होता है। इसे पूरा करने के बाद ही मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। गरुड़ पुराण में इसके रहस्य के बारे में बताया गया है।  इसमें बताया गया है कि जब मनुष्य के मौत का समय निकट आता है तब शरीर से आत्मा निकल जाती है  दूसरे शरीर में धारण कर लेती है। पर क्या आप जानते हैं कि जब कोई मनुष्य की अकाल मृत्यु हो जाती है तो उसके आत्मा का क्या होता है। तो आइए जानते हैं इसका रहस्य।
 
गरूर पुराण के सिंहावलोकन अध्याय के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति की मौत हिंसत प्राणी द्वारा हो, भूख से, फांसी लगाने से, सांप के डसने से, जल में डूबने से या आदि से मृत्यु होती है तो वह आकाल मृत्यु की श्रेणी में आता है। पर इसमें खुद को फांसी लगाना सबसे घृणित माना गया है।  गरूर पुराण के अनुसार मनुष्य के जीवन का सात चक्र निश्चित है। पर जिनकी आकाल मृत्यु हो जाती है, उसे बाद में कई प्रकार में कष्ट से गुजरना पड़ता है।
 
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भगवान विष्णु आत्महत्या को परमात्मा को अपमान करना बताया है। जो व्यक्ति आत्महत्या करते हैं, उनकी आत्मा पृथ्वी लोक पर तब तक भटकती है जब तक वह प्रकृति के द्वारा निर्धारित में जीवन चक्र को पूरा नहीं करता। उन्हें न ही स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है और न ही नरक लोक की। इसीलिए गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु को सबसे कष्टदायक अवस्था माना जाता है।
 
वह अपनी तमाम इच्छाओं जैसे भूख, प्यास, सुख, क्रोध, लोभ आदि की पूर्ति के लिए अन्धकार में तब तक भटकती है जब तक उसका जीवन चक्र पूरा नहीं हो जाता। वेद में कहा गया है कि मनुष्य 100 वर्षों तक जीवित रहता है।  पर जो लोग निंदनीय काम करते हैं वह जल्द ही विनाश हो जाते हैं।

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