नवरात्रि के नौ दिन माता रानी को प्रसन्न करने के दिन ह़ोते है ।एक वर्ष में चार बार नवरात्रि मनायी जाती है। जिसमें चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि होती है। जिसमें सबसे बड़ी शारदीय और चैत्र नवरात्रि होती है ।
इस बार चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल दिन मंगलवार से शुरू हो रही है ।इस दिन गुड़ी पड़वा भी है जिसका अपना विशेष महत्व है ।नवरात्रि का समापन 22 अप्रैल को हो रहा है । इस बार पूरी नौ दिन की नवरात्रि है ।
नवरात्रि में विधि विधान के साथ भक्त
जन अपने घर पर कलश की स्थापना करते हैं ।और माता रानी का नौ दिन का उपवास रखते हैं ।जो लोग किसी कारण वश नवरात्रि के पूरे दिन का उपवास रखने में स्वयं को सक्षम नहीं मानते ।उन्हें नवरात्रि के पहले दिन और आखिरी दिन नवरात्रि का उपवास करना चाहिए ।
आज हम जानेगें क्यों करना चाहिए नवरात्रि का उपवास क्या है इसके पीछे का महत्व
नवरात्र में देवी पूजन करने का विधान है। व्रत-उपवास भी इसके ही अंतर्गत आता है। मान्यता है कि नवरात्र रखे जाने वाले यह व्रत हमारी आत्मा की शुद्धता के लिए होते हैं। एक साल में दो बार हम इन व्रत के दौरान अपनी आत्मा की शुद्धि करते हैं। व्रत करने से मन,तन और आत्मा की शुद्धि मिलती है। व्रत पालन करने से शारीरिक, मानसिक और धार्मिक सभी प्रकार से फायदा होता है। नवरात्र के व्रत से शरीर तो स्वस्थ रहता ही है मन भी शांत बना रहता है। इसके अलावा नवरात्रि पर्व में व्रत रखना शरीर को भी लाभ पहुंंचाता है।
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नवरात्र पर उपवास करने का महत्व
नवरात्र पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व माना जाता है। नवरात्र के नौ पावन दिन स्वयं को शुद्ध, पवित्र, साहसी, मानवीय,आध्यात्मिक और मजबूत बनाने की अवधि होती है। त्योहार के दौरान देवी से आशीर्वाद के साथ उनके चरित्र के गुणों को अपने व्यक्तित्व में शामिल करना चाहिए। इससे तपकर कुंदन बनकर निकल पाए तो नवरात्र हमारी आत्मा को तृप्त कर पाने में सफल रहेंगे। दरअसल नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय पड़ते हैं। ऐसे समय में बीमार होने की संभावना काफी अधिक होती है। लोगों को कई तरह के संक्रामक रोग भी हो जाते हैं। इसलिए नवरात्र के 9 दिन तक व्रत रखने से खानपान भी संतुलित होता है। व्रत से शरीर स्वस्थ बना रहता है। पाचन तंत्र को सुचारु रूप से चलता है। कब्ज, गैस, अपच आदि की समस्या से निजात मिल जाती है। व्रत रखने से मां की अनुकंपा मिलती है और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। आध्यात्मिक शक्ति और ज्ञान बढ़ने के साथ विचारों में भी पवित्रता आती है।
देवताओं ने भी रखा था नवरात्र का उपवास
इस तरह विदित है कि नवरात्र के त्योहार और व्रत का अपना महत्व है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि मां आदि शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए स्वयं देवताओं ने भी नवरात्र के व्रत किए थे। देवराज इंद्र ने पूजा भगवति को स्वर्गलोक के राजा देवराज इंद्र ने राक्षस वृत्रासुर का वध करने के लिए मां दुर्गा की पूजा अर्चना की और नवरात्रि के व्रत रखे। त्रिपुरासुर दैत्य का वध करने के लिए भगवान शिव ने मां भगवति का पूजन किया। जग के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने मधु नाम के असुर का वध करने के लिए नवरात्र का व्रत किया था। रावण का वध करने के लिए भगवान श्रीराम ने आश्विन नवरात्र का व्रत किया था। देवी के व्रत से भगवान राम को वह अमोघ वाण प्राप्त हुआ था जिससे रावण मारा गया। महाभारत में कौरवों पर विजय पाने के लिए पांडवों द्वारा देवी का व्रत करने का उल्लेख मिलता है। देवी भागवत पुराण में राजा सुरथ की कथा मिलती है, जिन्हें नवरात्रि के व्रत रखने से अपना खोया हुआ राज्य और वैभव फिर से प्राप्त हुआ था।
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