फिर तो उस अजनबी पुरुष को अपने ही समान पा वह बड़ा चकित हुआ और विचार करने लगा कि, मेरे ही स्वरूप का यह कौन व्यक्ति है ? ऐसा विचार कर क्रुद्ध होते हुए रामू ने उस व्यक्ति से पूछा कि तुम कौन व्यक्ति हो, जो मेरी अनुपस्थिति में मेरी पत्नी के समीप रथ में बैठे हो? परन्तु वह व्यक्ति बोला कि पहले यह तो बताओ कि तुम कौन हो ? तुम मुझसे क्यों पूछ रहे हो और यदि पूछते हो तो मैं बताता हूँ कि यह मेरी स्त्री है। मैं इसे अपनी ससुराल से बिदाकर ला रहा हूँ और रथ में बैठा हूँ।
विनायक चतुर्थी पर कराएं मुंबई के सिद्धि विनायक में पूजा, विघ्नहर्ता हरेंगे सारे विघ्न : 17 मार्च 2021 - Vinayaka Chaturthi Puja Online
इस उन दोनों में परस्पर वाद-विवाद होने लगा, बहुत से आदमी एकत्र हो गये परन्तु कोई भी उन दोनों के झगड़े का निर्णय न कर सका और वह स्त्री भी दो पुरुषों को तो एक ही स्वरूप तथा वस्त्रो वाला देखकर चकित रह गयी तथा वह जान न सकी कि इसमें मेरा पति कौन है। इसी बीच राजा को इस झगड़े का समाचार मिला और उन्होंने अपने सिपाहियों को जाँच के लिए भेजा फिर तो राजा के सिपाहियों ने रामू को पकड़ लिया और राजा के पास ले चले।
सिपाहियों द्वारा पकड़े जाने पर रामू अत्यन्त दुःखी हुआ और रोते हुए विलाप करने लगा कि भगवन् ! यह सब क्या है, कौन झूठ है तथा कौन सच है ऐसा कहकर रामू रोने तथा भगवान् कि दुहाई देने लगा। उसी समय आकाशवाणी हुई कि रामू नाम का यह व्यक्ति जबर्दस्ती से अपने ससुर का कहना न मानकर पत्नी को के दिन लेकर चला, जिसका यह फल है। बुधवार बुधवार को विदाई लेकर चलने के कारण ही इसे यह दुःख प्राप्त हुआ है। ऐसा कह आकाशवाणी चुप हो गयी। पश्चात् भगवान् बुधजी अन्तर्धान हो गये फिर तो रामू ने भगवान् बुध की आराधना का, जिसके कारण वह राजा के सिपाहियों द्वारा मुक्त हो गया और भगवान् बुध की स्तुति करता हुआ स्त्री-सहित घर आया और भगवान् बुध के प्रसन्नार्थ व्रत इत्यादि करने लगा। जो मनुष्य इस बुधवार-व्रत को करता अथवा केवल कथा ही श्रवण करता या पठन-पाठन करता है, उसको बुधवार के दिन गमन करने पर कोई भी कष्ट नहीं पड़ता।
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