मेष , सिंह , कन्या और मकर राशि वालों पर ग्रहण अशुभ प्रभाव नहीं रहेगा। जबकि वृष , मिथुन , कर्क , तुला , वृश्चिक , धनु , कुंभ और मीन राशि वाले लोगों को सावधान रहना होगा। इसमें मिथुन राशि वालों को विशेष ध्यान रखना होगा। कंकण आकृति ग्रहण होने के साथ ही यह ग्रहण रविवार को होने से और भी प्रभावी हो गया है। इस सूर्य ग्रहण के दौरान स्नान , दान और मंत्र जाप करना विशेष फलदायी रहेगा।
जाने अपनी समस्याओं से जुड़ें समाधान भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों के माध्यम से
ग्रहण में क्या करें, क्या न करें :-
- सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व भोजन कर ले। बूढ़े, बालक, रोगी और गर्भवती महिलाएँ डेढ़ प्रहर ( साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं ।
- ग्रहण के कुप्रभाव से खाने-पीने की वस्तुएँ दूषित न हों इसलिए सभी खाद्य पदार्थों एवं पीने के जल में तुलसी का पत्ता अथवा कुश डाल दें।
- ग्रहण के बाद नया भोजन बना लेना चाहिए । सम्भव हो तो ग्रहण के पश्चात् घर में रखा सारा पानी बदल दें ग्रहण के समय पहने हुए एवं स्पर्श किए गए वस्त्र आदि अशुद्ध माने जाते हैं । अतः ग्रहण पूरा होते ही पहने हुए कपड़ों सहित स्नान कर लेना चाहिए।
- ग्रहण से 30 मिनट पूर्व गंगाजल छिड़क के शुद्धिकरण कर लें।
- ग्रहणकाल प्रारम्भ होने के पूर्व घर के ईशान कोण में गाय के घी का चार बातीवाला दीपक प्रज्वलित करें एवं घर के हर कमरे में कपूर का धूप कर दें।
- ग्रहण के दौरान हँसी – मजाक , नाच – गाना , ठिठोली आदि न करें क्योंकि ग्रहणकाल उस देवता के लिए संकट का काल है , उस समय वह ग्रह पीड़ा में होते हैं । अतः उस समय भगवन्नाम-जप , कीर्तन , ओमकार का जप आदि करने से संबंधित ग्रहों एवं जातक दोनों के लिए हितावह है।
- भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं “सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (ध्यान , जप , दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है । यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदाई होता है।
- ग्रहण के समय गुरुमंत्र , इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें , न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। ग्रहणकाल में कुछ भी क्रिया न करते हुए केवल शांत चित्त से अपने गुरुमंत्र का जप करें एवं जिन्होंने गुरुमंत्र नहीं लिया है वे अपने इष्टदेव का मंत्र या भगवन्नाम का जप करें।
- ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव पूजन तथा श्राद्ध तथा अंत में वस्त्रोंसहित स्नान करना चाहिए । स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।
- ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए।
- ग्रहण के समय निद्रा लेने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है।बालक वृद्ध और रोगी को छूट है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
- ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरुरतमंदो को वस्त्र दान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
- ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए । बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए । ग्रहण के समय ताला खोलना , सोना , मल-मूत्र का त्याग , मैथुन और भोजन ये सब कार्य वर्जित हैं।
- ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
- ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है । (स्कंद पुराण)।
- ग्रहण को देखने से आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
सूर्य ग्रहण का सभी 12 राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव एवं उपाय
सूर्य ग्रहण के समय रखनी चाहिए यह सावधानियां
सूर्य चंद्रादि ग्रहण का ज्योतिर्विज्ञान और वैदिक पौराणिक परिपेक्क्ष्य