शुक्र ग्रह सौर मंडल में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है और यह चंद्रमा के बाद रात में चमकने वाला दूसरा ग्रह है। शुक्र (Venus) आकार व द्रव्यमान में पृथ्वी के समान ही है और इसे अक्सर पृथ्वी की बहन या जुड़वा के तौर पर वर्णित किया जाता हवैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता है और मीन इसकी उच्च राशि है, जबकि कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है।
शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं और तथा सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। शुक्र का गोचर 23 दिन की अवधि का होता है अर्थात शुक्र एक राशि में क़रीब 23 दिन तक रहता है।
बृहस्पति ग्रह का गोचर किस प्रकार करेगा आपको प्रभावित, जानें पर्सनलाइज्ड रिपोर्ट से
सबसे पहले बात करते हैं कि शुक्र का मानव शरीर की संरचना पर क्या प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह जिस जातक की कुंडली में लग्न भाव में विराजमान होता है वह जातक रूप-रंग से बेहद सुंदर व आकर्षक होता है। जातक का व्यक्तित्व विपरीत लिंग के जातकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जातक स्वभाव से वह मृदुभाषी होता है। लग्न में शुक्र (Venus) का होना जातक का कला के क्षेत्र में रूचि पैदा करता है।
ज्योतिष के मुताबिक शुक्र यदि कुंडली में प्रभावी व मजबूत स्थिति में हैं तो जातक का प्रेम व वैवाहिक जीवन को सुखमयी रहता है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र मजबूत हैं तो आप अनुभव किए होंगे कि आपका प्रेम पक्ष काफी अच्छा है। यदि आप विवाहित हैं तो आप अपने वैवाहिक जीवन को देख ही रहे होंगे। शुक्र पति-पत्नी के बीच प्रेम की भावना को बढ़ाता है तो वहीं प्रेम करने वाले जातकों के जीवन में रोमांस में वृद्धि करता है। जातक भौतिक जीवन में रूचि रखता है।
यदि जातक की कुंडली में शुक्र कमजोर स्थिति में या किसी क्रूर ग्रह के साथ प्रतिकूल स्थिति में बैठा हो तो ऐसे में जातकों को परिवार व प्रेम के मोर्चे पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शुक्र के कमजोर होने से जातक कम रोमांटिक हो सकता है। इसके साथ ही आपका प्रेम जीवन उतार-चढ़ाव से गुजरता है हो वहीं पती-पत्नि के बीच मतभेद होते रहते हैं। अकारण ही विवाद होता है। इसके साथ ही वह भौतिक सुख को भोग नहीं पाता है।
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