पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक ग्रहण और सूतक के बीच किसी भी तरह की पूजा - पाठ नहीं करना चाहिए ग्रहण से पूर्व ही सूतक काल शुरू हो जाता है।
आज हम जानेंगे क्या छिपी है ग्रहण के पीछे कोई कथा जिससे है हम अनजान
क्या है सूर्यग्रहण की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है प्राचीन समय में देवता और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था । इसमें 14 रत्न निकले थे समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला तो उसे पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच युद्ध होने लगा। तब विष्णु भगवान ने एक सुंदर मोहिनी का अवतार लिया और सभी देवताओं को अमृत का पान करने लगे उसी समय राहु नाम के राक्षस ने देवताओं का भेष धारण करके अमृत का पान कर लिया। जिसे चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। तब विष्णुजी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। क्योंकि राहु ने भी अमृत पी लिया था इसलिए वह अमर हो गया था। तभी से राहु चंद्र और सूर्य को अपना शत्रु मानता है। समय-समय पर इन ग्रहों को ग्रसता है। शास्त्रों में इसी घटना को सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण कहा जाता है।
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वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी है सूर्यग्रहण का महत्व
जैसा की हम सब जानते हैं कि ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चंद्रमा द्वारा आच्छादित होता है। जिसका मतलब कि जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिंब कुछ समय के लिए ढक जाता है। इसी घटना को सूर्यग्रहण कहते हैं।
जून को होगा सूर्यग्रहण
इस साल सूर्य ग्रहण 10 जून को लगेगा भारत में यह ग्रहण आंशिक रूप से दिखाई पड़ेगा। इसके अलावा साल के पहले ग्रहण को अमेरिका के उत्तरी भाग, यूरोप और एशिया में आंशिक, ग्रीनलैंड, रूस और कनाडा में पूर्ण रूप से दिखाई पड़ेगा ।
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