नवरात्रि नौ दिनों तक माता रानी को प्रसन्न करने का दिन होता है lजब व्रती माता क़ो खुश करने के लिए व्रत रखते हैं और साथ ही कलश की स्थापना करते हैं l
इससे हम सब अवगत है l
आज हम जानेगें की नवरात्रि मनाने का क्या है इतिहास?
शारदीय नवरात्रि मनाने के पीछे का इतिहास
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शारदीय नवरात्रि का सम्बन्ध भगवान श्री राम से है ऐसा माना जाता है l कि भगवान श्री राम ने ही नवरात्रि की शुरुआत की थी इन्होंने ही इस नवरात्र की शुरुआत की थी। भगवान राम ने सबसे पहले समुद्र के किनारे शारदीय नवरात्रों की पूजा शुरू की और ये पूजा उन्होंने लगातार नौ दिनों तक विधिवत की और इसके 10वें दिन भगवान राम ने रावण का वध कर दिया था। यही वजह है कि शारदीय नवरात्रों में नौ दिनों तक दुर्गा मां की पूजा के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है।
चैत्र नवरात्रि मनाने के पीछे का इतिहास
पौराणिक मान्यता के अनुसार असुर लोक में एक महिषासुर नाम का राक्षस रहता था l जिसने भगवान ब्रह्मा को खुश करने के लिए लम्बे समय तपस्या की l जिससे प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने महिषासुर से कहा कि मांगो तुम क्या वरदान मांगना चाहते हो ?
महिषासुर ने अपना वरदान यहाँ मांगा, कि उसकी मौत न तो किसी देवता के हाथों से होगी और न ही किसी मनुष्य के हाथों से अगर होगी तो केवल एक स्त्री से भगवान ब्रह्मा ने उसे वो वरदान दे दिया l
वरदान पाकर महिषासुर इतना अभिमानी हो गया कि उसने स्वयं को ही भगवान समझ लिया और हर जगह अपना अधिपत्य जमा लिया और हर जगह आक्रमण कर अपना राजतंत्र स्थापित किया और फिर अपने अभिमान में बहकर उसने देव लोक पर भी आक्रमण कर दिया l जिसमें देव लोग में त्राहिमान - त्राहिमान के स्वर चारों जगह गूजने लगे l भगवान इंद्र का राज सिंहासन महिषासुर के हाथों में चला गया जिसे पाने के लिए देवता और असुरों के बीच बड़ा भंयकर युद्ध हुआ जिसमें भगवान शिव और विष्णु भी शामिल हुए किन्तु वरदान के चलते महिषासुर से कोई जीत न सका तब भगवान विष्णु ने अपने तेज से एक अत्यंत सुंदर अप्सरा दुर्गा की उत्पत्ति की जो कि शक्ति का एक रूप थी l
जिसके ऊपर महिषासुर मोहित हो गया और उसने शक्ति रूपा दुर्गा से विवाह का प्रस्ताव रखा दिया जिस पर शक्ति रूपा ने एक शर्त रख दी कि अगर तुम मुझें से विवाह करना चाहते हो तो पहले तुम मुझसे युद्ध करना होगा l
महिषासुर शक्ति स्वरूप के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है और माता स्वरूपा दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध होता है जो पूरे नौ दिन तक भयंकर युद्ध चलता है और दसवें दिन शक्तिरूपेण माता दुर्गा महिषासुर का वंध कर देती है और एक बार फिर देव लोक में इंद्र का मुकुट सुरक्षित हो जाता है चारों तरफ माता स्वरुप के नाम के जयकारे लगाएं जाते हैं l और तब से मनुष्य नवरात्रि का त्यौहार मनाते है जो बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है l
इस नवरात्रि कराएं कामाख्या बगलामुखी कवच का पाठ व हवन : 13 से 21 अप्रैल 2021 - Kamakhya Bagalamukhi Kavach Paath Online
नवरात्रि की तिथियां (Navratri Tithi :2021)
13 अप्रैल 2021 – पहला दिन, घटस्थापना, मां शैलपुत्री पूजा।
14 अप्रैल 2021 – द्वितीय दिन, मां ब्रह्मचारिणी पूजा।
15 अप्रैल 2021 – तृतीया दिन, मां चंद्रघंटा पूजा।
16 अप्रैल 2021 – चतुर्थी दिन, मां कूष्मांडा पूजा।
17 अप्रैल 2021 – पंचमी दिन, मां स्कंदमाता पूजा।
18 अप्रैल 2021 – षष्ठी दिन, मां कात्यायनी पूजा।
19 अप्रैल 2021 – सप्तमी दिन, मां कालरात्रि पूजा।
20 अप्रैल 2021– अष्टमी दिन, मां महागौरी पूजा l
21 अप्रैल 2021- राम नवमी , मां सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणाl
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