हमारी रोज़मर्रा वाली जिंदगी में राशिफल एक महत्वपूर्ण स्थान को दर्शाता है और साथ ही साथ ज्योतिषी में राशिफल का होना भी एक विशेष स्थान को दिखाता है। आप इसे ऐसे समझ लीजिए कि जिस तरह से हमें जीवन में जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है, ठीक उसी तरह से वैदिक ज्योतिषी में राशिफल का होना भी बहुत जरूरी होता है।
राशि का क्या मतलब हैं?
वैदिक ज्योतिषी के अनुसार हमारे आकाश मंडल में कुल 12 राशियां होती है, जो लोगों के जन्म राशिफल का निर्धारण करती है। मनुष्य के जन्म लेते ही उसका राशिफल जीवन भर के लिए उस के साथ जुड़ जाता है और हर एक राशिफल अपने राशि के अनुसार अपने विशेष जातक पर अपना अलग-अलग प्रभाव डालता है।
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इन 12 राशियों में से जातक की जन्म राशि कौन सी होती है ? यह तो जातक के जन्म लेते समय की चंद्रमा की स्थिति पर ही निर्भर करता है। इन राशियों का अपना अलग-अलग स्वभाव, गुण और प्रतिक चिन्ह होते हैं, जिन्हें नियंत्रित करने के लिए इन के अलग-अलग स्वामी ग्रह भी होते हैं। वैदिक ज्योतिषी में सूर्य व चंद्रमा को एक-एक राशि का स्वामी माना जाता है । वहीं दूसरी ओर मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह को दो-दो राशियों का स्वामी माना जाता है। राहु और केतु छाया ग्रह में माने जाते हैं इसीलिए इन्हें किसी भी राशि का स्वामी नहीं माना जाता है।
लेकिन इन सभी 12 राशियों में से कुछ राशियां ऐसी भी होती है जो मां लक्ष्मी की कृपा से भाग्यशाली मानी जाती है। जिन राशियों पर विशेष रुप से मां लक्ष्मी का वास होता हों, उन के जीवन में पैसों की किसी भी तरह से कोई किल्लत नहीं देखी जाती है।
आइए अब जानते हैं कौन- कौन सी होती हैं वो विशेष राशियां :-
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