रामायण में हनुमान जी का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान था। उन्होंने अपनी समझदारी और बल से प्रभु राम की बहुत मदद की थी। इन्हीं के कारण माँ सीता की खोज आसान हो पाई थी। रामचरितमानस में खासतौर से उनकी श्री राम के प्रति भक्ति और समर्थता को दर्शाया गया है। जो कोई भी इनकी पूजा करता है उन्हें किसी भी नकारात्मक ऊर्जा या दोष का भय नहीं रहता। हनुमान जी उस व्यक्ति को बल, बुद्धि व विद्या का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इनकी पूजा से शत्रुओं का विनाश होता है एवं भगवान स्वयं अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
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हनुमान जी बचपन से ही बलशाली व चतुर थे परन्तु उन्हें अपनी शक्तियों का ज्ञान नहीं था। ऐसी ही एक घटना में उन्होंने सूर्य देव को फल स्वरुप ग्रहण करने का प्रयास कर दिया था। छोटे बालक को अपनी ओर आते देख सूर्यदेव ने हनुमान जी को अपने तेज से जलने नहीं दिया। राहु ने यह कथन जब इंद्रदेव को बताया तो देव इंद्र हनुमान जी का स्वरूप पहचान न सके और उनपर प्रहार कर बैठे। अपने पुत्र को इस रूप में देख पवन देव क्रोधित हो उठे व समस्त संसार की वायु प्रवाह को रोक दिया। जब चारों ओर हाहाकार मचने लगा तो सभी देवताओं ने पुनः सब पहले जैसा करने की प्रार्थना की। विनाश होता देख वायुदेव ने यह प्रार्थना स्वीकार की तथा सब ठीक कर दिया। तब सभी देवताओं ने हनुमान जी को आशीर्वाद स्वरुप शक्तियां प्रदान की थी।
हनुमान जी की पूजा में पीला सिंदूर, चमेली के तेल के साथ मंगलवार तथा शनिवार को अवश्य अर्पण करना चाहिए इससे बजरंगबली बहुत प्रसन्न होते हैं। इनकी पूजा से व्यक्ति की शारीरिक रोग, दुःख व दोष से दूरी हो जाती है तथा उसे सद्धबुद्धि व मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीनों लोकों में उस व्यक्ति की कीर्ति व यश रहता है।
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