myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Maa Vindhyavasini Shaktipeeth: Know why Shaktipeeth of Mother Vindhyavasini is called glorious

जानिए क्यों महिमाकारी कहलाया माँ विंध्यवासिनी का शक्तिपीठ

MyJyotish Expert Updated 21 Apr 2020 11:28 AM IST
Maa Vindhyavasini Shaktipeeth: Know why Shaktipeeth of Mother Vindhyavasini is called glorious
विज्ञापन
विज्ञापन
अत्यंत शक्तियों की केंद्रभूता महाशक्ति माँ विध्यवासिनी ही "सती " है। अनंत ब्रह्माण्डेश्वरी शुद्ध ब्रह्मा ही "शंकर" है। ब्रह्मा से ही मायाशक्ति सम्भन्ध के द्वारा सृष्टि हुई शिव अत्यंत निर्मोह एवं अन्तर्मुख है। उनपर काम -क्रोधादि कोई प्रभाव नहीं है। सती शिव समोहनार्थ तप में तत्पर हो गयी। शिव प्रसन्न हो गये। सहस्त्र वर्ष पर्यन्त सती -शिव श्रृंगार युक्त बिहार हुआ। इस मध्यावधि में दक्ष के "बृहस्पति सव यज्ञ " में शिव का निमंत्रण -आमंत्रण न होने से अपमान ,उपेक्षा , तिरस्कार का अनुभवकर सती ने योगबल से देह त्याग दिया। अशुभ समाचार से शिव को क्षोभ -मोह हुआ। दक्ष यज्ञ को विनष्ट -प्रणष्ट करके सती के शब्द को लेकर उन्मत्त -उद्धव भाव से शिव जी घूमते रहे। सर्वदेवमय विष्णु ने शिव को क्षोभ -मोह शांति एवं साधकों की सिद्धि आदि कल्याण हेतु शव के भिन्न -भिन्न अंगो को विभिन्न स्थलों पर गिरा दिया। वह ही 51 शक्तिपीठ हुए


अक्षय तृतीया पर देवी विंध्यवासिनी के श्रृंगार पूजा से जीवन की समस्याएं होंगी दूर, मिलेगा धन लाभ का आशीर्वाद : 26-अप्रैल-2020


माया द्वारा ही परब्रह्म विश्व की सृष्टि होती है। सृष्टि विस्तार के लिए पुरुष की उसमें आसक्ति। अतः विस्तार हेतु काम की उत्पत्ति हुई। रज -सत्व के सम्बन्ध से द्वैत सृष्टि का विस्तार होता है। सत्वमय सूक्ष्मकार्यरूपों विष्णु एवं रजोमय स्थूल कार्यरूपा ब्रह्म के मोहित हो जाने पर भी कारणात्मा शिव मोहित नहीं होते है। मोह रहित करण से सृष्टि की स्थिति अपूर्ण है। मायामय सती ने शिव को स्वाधीन कर लिया तथापि पिता द्वारा पति का अपमान -अवेलना होने पर उन्होंने उस पिता से सम्बंधित उस शरीर का त्याग कर देना उचित समझा। महाशक्ति का शरीर उनका लीला विग्रह ही है। अधिस्वान -चैतन्य सहित महाशक्ति का उस लीला विग्रह सती शरीर से तिरोहित हो जाना ही सती का मरण है। दक्ष प्रमाद अहंकार का प्रतिमूर्ति है। शक्ति उससे सम्भन्ध तोड़ देती है तो वह विनष्ट हो जाता है। शिव महाशक्ति में रत थे। मोहित होने के कारण उसे नहीं त्याग सके। इसी मोहवश शंकर महाशक्ति के अधिष्ठानभूत उस प्रिय देह को लेकर घूमने लगे। जहाँ -जहाँ उनके अंगों का पात हुआ वे स्थान भी दिव्य शक्तियों के अधिष्ठान बन गए। वैसे तो जहाँ भी जिस किसी भी वस्तु में जो भी शक्ति है उन सब का ही अंतर्भाव महाशक्ति में ही है। वह ही 51 शक्तिपीठ है।

अतः प्रणात्मक ब्रह्म ही निखिल विश्व का उपादान है। वही शक्तिमय सती शरीर रूप में और निखिल "वाड्मय" प्रपंच के मूलभूत एक पश्चाशत (इक्यावन )वर्ण रूप में व्यक्त होता है जैसे अखिल विश्व का शक्तिरूप में ही पर्यवसान होता है। वैसे ही वर्णों में ही सकल वाड्मय प्रपंच का अंतर्भाव होता है। क्यूंकि सभी शक्तियों वर्णों की आनुपूर्वी विशेष मात्र है। शब्द अर्थ का वाच्य -वाचकता,का असरण सम्बन्ध अभेद ही होता है। अतएव इक्यावन वर्णों के कार्यभूत सकल काडमय प्रपंच का जैसे इक्यावन वर्णों में अंतर्भाव किया जाता है। वैसे ही वाड्मय प्रपंच के वाच्यभूत सकल अर्थमय प्रपंच का उसका मूलभूत इक्यावन शक्तियों का अंतर्भाव करके वाच्या -वाचकता का अभेद प्रस्तुत किया है। यही इक्यावन पीठों का रहस्य है। हृदय से उधर्व भाग के अंग जहाँ गिरे वहाँ वैदिक एवं दक्षिण मार्ग की सिद्धि होती है। हृदय से निमिन्न भाग अंगों पतन स्थानों में वाम मार्ग की सिद्धि होती है।

यह भी पढ़े:-

जानिए माँ विंध्यवासिनी के चार आरतियों का रहस्य

श्री गणेश की आराधना से होगा समस्त रोगों का निवारण

क्यों है मां विंध्यवासिनी की पूजा हेतु अक्षय तृतीया का दिन सर्वोत्तम



 

  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X