myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Worship of Mother Durga leads to destruction of enemies

माँ दुर्गा की आराधना से होता है शत्रुओं का विनाश

MyJyotish Expert Updated 13 May 2020 11:55 AM IST
Worship of Mother Durga leads to destruction of enemies
विज्ञापन
विज्ञापन
माँ दुर्गा हिन्दू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। देवी दुर्गा सर्वशक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्हें आदिपराशक्ति के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। वह अपने पार्वती स्वरूप में शिव शंकर की अर्धांगिनी हैं। वह रक्षा की देवी के रूप में भी जानी जाती हैं। वह सिंह पर सवारी करती हैं। उन्हें महिषासुर मर्दनी के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा का अर्थ है जिनके विनाश का कोई श्रोत न हो अर्थात जिनको कोई परास्त न कर सके। इन्हे अष्टसिद्धि की दात्री भी कहा जाता है। देवी दुर्गा के आशीर्वाद से विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है। समस्त विपदाओं के निवारण का मार्ग प्रकाशित होता है। वह प्रधान प्रकृति, गुणवती योगमाया बुद्धित्व की जननी हैं।



इस कालाष्टमी प्राचीन कालभैरव मंदिर दिल्ली में पूजा और प्रसाद अर्पण से बनेगी बिगड़ी बात : 14 -मई - 2020

 दुर्गा अपने भक्तों को अंधकार व अज्ञानता से भरे राक्षसों से रक्षा करती हैं। उनकी कृपा से भक्त के जीवन की समस्याएं दूर हो जाती हैं तथा उसके घर में धन - सम्पदा का वास होता है। देवी दुर्गा शांति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली विनाशकारी शक्तियों का अंत करती हैं। उनके आशीर्वाद से संसार में नकारात्मकता का विनाश होता है तथा धर्म की विजय होती है। देवी दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा के लिए सदैव उपस्थित होती हैं। वह प्रमुख देवी हैं जिनकी तुलना परंब्रह्म से की गई है। उनकी शक्ति के समक्ष टिकने का सामर्थ्य किसी में नहीं। वह अपने शताक्षी स्वरूप के कारण शांकभरी के नाम से भी जानी जाती हैं। देश भर में माता के अनेकों मंदिर है। सती स्वरूप में उनके अंगो के विभाजन के साथ ही भारत में 51 शक्तिपीठों का निर्माण हुआ था।

मासिक शिवरात्रि के दिन बंगाल के 108 शिवलिंग मंदिर में कराएं जलाभिषेक, होगी सर्व सुख की प्राप्ति व पूर्ण होंगे अटके हुए कार्य : 20-मई-2020

माँ दुर्गा की उपासना के लिए पूर्ण विधिविधान से संकल्प करना चाहिए। पूजा के दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए। उसके पश्चात माँ दुर्गा को फल - फूल तथा भोग अर्पण करने चाहिए। इस दिन दुर्गासप्तशती का पाठ भी करना चाहिए। इस पाठ से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। देवी दुर्गा का अवतार श्रेष्ठ पुरुषों की रक्षा के लिए हुआ है। वह अपने भक्तों की समस्त नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करती हैं। उनका जीवन सांसारिक सुखों से परिपूर्ण कर देती हैं। देवी दुर्गा की महिमा अलौकिक है। उनका आशीर्वाद भक्तों के जीवन का उद्धार करता है।

यह भी पढ़े :-

शनि के तेल अभिषेक से दूर होती है साढ़े साती की दशा

सूर्य नारायण के पूजन व पाठ से समाप्त होते हैं ग्रह दोष

गंगाजल की पवित्रता से दूर हो जाते हैं वास्तु दोष

  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X