नवरात्रि के दौरान किए व्रत व उपवास मनुष्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करते है।इस पर्व को पूरे देश भर में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। लेकिन बहुत ही कम लोग इसका असल महत्व जानते हैं। नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए श्रीराम ने देवी दुर्गा की पूजा की थी। इस पर्व को मौसमी परिवर्तन के समय मनाया जाता है। इसलिए यह एक बार गर्मी की और एक बार सर्दियों की शुरूआत में मनाया जाता है। इस पर्व द्वारा हम आने वाले पर्व का स्वागत करते हैं।
नवरात्रों में माता चिंतपुर्णी में कराएं दुर्गा सप्तशती का पाठ मां हरेंगी हर चिंता
नवरात्रि का पर्व मौसम के अनुकूल होने पर मनाया जाता है। इस समय प्रकृति बड़े करवट लेती है जिसका स्वागत नवरात्रियों के माध्यम से देवी दुर्गा की आराधना से किया जाता है। यह वर्ष का वह समय है जब सभी बड़े समारोह किए जाते है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम जब लंका में युद्ध करने गए थे उससे पहले उन्होंने माँ दुर्गा की उपासना की थी जिसके बाद वह युद्ध में विजयी हुए। तभी से नवरात्रि का पर्व मनाया जाने लगा। इन दिनों भक्त देवी दुर्गा का आह्वान करते हैं। माँ दुर्गा को ब्रह्माण्ड ऊर्जा का प्रतिनिधि माना गया है।
दुर्गा का अर्थ होता है दुःखों का अंत करने वाली। भक्त उनकी पूजा सच्चे मन और श्रद्धा से करते हैं जिसके कारण माँ दुर्गा अपने भक्तों के दुःखों को दूर कर देती हैं तथा उनके जीवन को सुख समृद्धि और शांति से भर देती हैं। सभी लोग पूरी आस्था से नवरात्रों के व्रत व उपवास करके माँ को प्रसन्न करते हैं।
यह भी पढ़े
जानिए क्या है दुर्गा शप्तचंडी पाठ के चमत्कारी फायदे
देवी कूष्मांडा की पूजा से होती है अखंड सौभाग्य की प्राप्ति
चैत्र नवरात्रि के अवसर पर जानिए गुप्त नवरात्रि का महत्व