माँ दुर्गा को शक्ति कहा गया है। यह शक्ति अपने भक्तों को सभी संकटो से दूर करती है साथ ही उन्हें विजय का आशीर्वाद प्रदान करती है। गुप्त नवरात्रि भी सामान्य नवरात्रि की तरह ही वर्ष में दो बार आते है। एक बार आषाढ़ के माह में तो दूसरी बार माघ के माह में।
गुप्त नवरात्रि की पूजा भक्त अपनी तंत्र और साधना की शक्ति को बढ़ाने के लिए करते हैं। यह व्रत और उपवास तंत्र और साधना में विश्वास रखने वाले लोगों द्वारा किया जाता है। इनकी पूजा विधि चैत्र और शारदीय नवरात्र के सामान ही होती है। इनके नियम भी सामान्य ही होतें है, गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
नवरात्रों में माता चिंतपुर्णी में कराएं दुर्गा सप्तशती का पाठ मां हरेंगी हर चिंता
गुप्त नवरात्रि में माँ की आराधना बहुत ही कठिन होती है तथा इससे गुप्त रूप से किया जाता है, इसी कारण ही इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इस पूजन में प्रातः उठकर अखंड ज्योत को प्रज्वलित किया जाता है तथा संध्याकाल में देवी की पूजा - अर्चना की जाती है। इसमें तंत्र साधना के दस महाविधाओं की साधना की जाती है। नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ कर अष्टमी या नवमी में से किसी भी एक दिन कन्या पूजन करके व्रत व उपवास को पूर्ण किया जाता है।
गुप्त नवरात्रों में शुभ समय पर माँ के सामने घट स्थापना की जाती है , जौ उगने के लिए रखे जाते है। इसके एक तरफ पानी से भरा कलश रखा जाता है जिस पर कच्चा नारियल रखा जाता है। कलश स्थापित करने के बाद माँ के समक्ष अखंड ज्योत जलाई जाती है। तत्पश्चात प्रथम पूजनीय गणेश जी की पूजा व अन्य देवताओं की पूजा के बाद देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। नवरात्रों के दौरान प्रतिदिन पूजा कर दुर्गासप्तशती का पाठ किया जाता है।
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