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माना जाता है ,असुर वली बहुत ही बलवान था । जिसकी कृपा से त्रिपुरा सुर बहुत ही शक्तिशाली तथा बलवान बन गया भगवान कार्तिक ने तारकासुर का वध कर दिया था उसके तीन लड़के थे जिन्होंने देवताओं को नष्ट करने का प्रण ले लिया था। तथा जंगलों में जाकर उन्होंने हजारों साल तक तपस्या करी ब्रह्मा जी को प्रसन किया और जब भगवान ब्रह्मा जी अक्षरों के समक्ष प्रकट हुए तब असुरों ने भगवान ब्रह्मा से अमृता का वरदान मांगा ब्रह्मा जी ने कहां एक यही वरदान है मैं जो तुम्हें नहीं दे सकता
उसके बाद तीनो सुरो सोच विचार कर योजना बनाते हैं कि हमारे लिए तीन नगरियों का निर्माण कराया जाए तथा विश्वकर्मा जी द्वारा तीन नगरियों का निर्माण किया गया। तारकाक्ष के लिये स्वर्णपुरी ,कमलाक्ष के रजतपुरी तथा विधुन्माली के लिए लौहपुरी का निर्माण किया गया। तथा ब्रह्मा जी के समक्ष एक बहुत ही कठिन शर्त रखी जिसमें त्रिपुरा सुरों ने कहां अभिजीत नक्षत्र के अनुसार ब्रह्मांड में तीनों नगरिया एक साथ आ जाए और क्रोध जीत व्यक्ति उन्हें मारने के लिए असंभव बाढ़ का प्रयोग करें और असंभव रथ का प्रयोग करें। ब्रह्मा जी तथास्तु कह देते हैं।
वरदान प्राप्त करने के बाद त्रिपुरा सुरों ने चारों तरफ कोहराम मचा दिया सत्पुरुषों को परेशान तथा देवताओं को लोक से बाहर कर दिया तथा किसी भी देवता गण के पास उनका मुकाबला करने का साहस नहीं था से परेशान देवता गण भगवान शिव के समक्ष जाते हैं।
उसके बाद इन सुरों का वध करने का जिम्मा भगवान शिव उठा लेते हैं सभी देवता गण अपना आधा-आधा बल भगवान शिव को प्रदान करते हैं।
इसके बाद असंभव रथ की तैयारी शुरू हो जाती है जिसने पृथ्वी से रथ तथा सूर्य और चंद्रमा रथ के पहिए बनते हैं ,और सृष्टा सारथी बनते हैं। मेरु व्रत पर्वत धनुष और बासुकी बने धनुष की डोर इस प्रकार हुआ असंभव रथ तैयार हुआ जब रथ डगमगाने लगा तब विष्णु भगवान वृषभ बनकर रथ से जुड़ गए।
इसके बाद जब भगवान शिव त्रिपुरा सुरों का विनाश करने रणभूमि में उतरे तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा। क्योंकि भगवान शिव , गणेश जी की आराधना करना भूल गए थे। तथा फिर बाद में भगवान गणेश की आराधना की गई और मोदक तथा लड्डुओं का भोग लगाया गया
उसके बाद भगवान शिव ने बाढ़ में अग्नि ,वायु , विष्णु तथा यम।भगवान शिव ने बाण चलाया और त्रिपुरा सुरों का जलाकर भस्म कर दिया उस दिन से भगवान शिव को त्रिपुरा तक नाम से भी जाना गया तथा इस दौरान भगवान शिव की आंखों से आंसू छलक जाते हैं तथा जहाँ पर भगवान शिव के आंसू गिरते है वहां पर रुद्राक्ष का पेड़ उग जाता है रूद्र का अर्थ होता है भगवान शिव और अक्ष का अर्थ होता है आत्मा इस प्रकार भगवान शिव ने युद्ध में विजय पाई तथा बक्त- बक्त भगवान को भिन्न-भिन्न प्रकार के अवतार लेने पड़ते हैं तथा बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती
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