हम लोग घर वाले मंदिर को अपनी भक्ति भाव और श्रद्धा के अनुसार सजाते हैं। परंतु वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मंदिर को सजाने के लिए कुछ विशेष तथ्यों पर ध्यान देना जरूरी होता है। अपनी जगह की सहूलियत और बाह्यसजावट के साथ-साथ हमें वास्तु के हिसाब से भी सोच समझकर घर के मंदिर की सही दिशा और स्थान का चयन करना आवश्यक होता है। वास्तु विज्ञान कहता है, कि घर के मंदिर से संबंधित एक छोटी सी गलती भी आपको नुकसान पहुंचा सकती है। यही कारण है कि घर के मंदिर को एक सही दिशा और दशा देना अनिवार्य होता है। क्योंकि घर का यही वो हिस्सा है, जो पूरे घर में सुख, शांति, समृद्धि आदि का संतुलन बनाए रखता है। और हमेशा पॉजिटिव एनर्जी प्रदान करता है। आइए हम आपको बताते हैं कि घर बनाने या घर के मंदिर बनाने वक्त खास तौर पर किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। ताकि घर में रहने वाले समस्त लोग सुखी रहें। और कुछ भी अशुभ ना हो।
1. अक्सर लोग चाहते हैं कि घर के मंदिर हमारे मन के अनुसार हो। लेकिन आपको बता दें मंदिर का सही दिशा में होना बहुत जरूरी माना जाता है। घर में मंदिर बनाने के लिए सबसे शुभ जगह, घर का उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण माना जाता है। इसके अलावा पूर्व दिशा के तरफ भी आप मंदिर बनवा सकते हैं।
2. वास्तु विज्ञान के हिसाब से मंदिर की दिशा के अलावे पूजा करने वाले व्यक्ति की दिशा का भी खास ख्याल रखना चाहिए। पूजा करने वाले व्यक्ति का मुख हमेशा पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर हीं होना चाहिए। यह दोनों दिशाएं पूजा के लिए बेहद शुभ माने जाते हैं।
3. वास्तु शास्त्रों के नजरिए से, घर की मंदिर का स्थान कभी भी सतह पर नहीं होनी चाहिए। मंदिर की ऊंचाई हमेशा ऐसे व्यवस्थित करें कि भगवान के चरण और हमारे हृदय का स्तर बराबर हो।
4. अधिकांशतः लोग पूजन के बाद दीपक को वहीं रख कर छोड़ देते हैं। लेकिन वास्तु हमें बताता है कि यह तरीका बिल्कुल गलत है। दीपक हमेशा घर के दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इससे घर में सकारात्मकता बरकरार रहती है।
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5. वास्तु विज्ञान के मुताबिक घर के मंदिर लकड़ी का होना चाहिए। माना जाता है कि लकड़ी के मंदिर उपस्थित होने से सौभाग्य प्राप्त होती है। और भाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा आपको यह भी ख्याल रखना चाहिए कि मंदिर के आजू-बाजू कोई गंदगी न हो। मंदिर और पास के इलाके हमेशा साफ-सुथरा होना चाहिए।
6. घर के मंदिर में विशेष कर यह देखना जरूरी होता है कि, जो भी प्रतिमा आपने स्थापित किया है वह कहीं से भी खंडित ना हो। क्योंकि ऐसी स्थिति में भगवान रूष्ट होते हैं। और आपके घर सकारात्मक ऊर्जा के बजाय नकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है।
7. कभी-कभी हम देखते हैं कि घर के मंदिर में पूजन के स्थान पर घर के मृतक सदस्य की तस्वीर भी लोग रख देते हैं। और भगवान के साथ उनका भी पूजन करते हैं। लेकिन वास्तु के अनुसार यह सही नहीं माना जाता। या तो उस तस्वीर को मंदिर के बाहर कहीं लगायें। या फिर मंदिर में हीं स्थान देना चाहते हैं, तो भगवान की प्रतिमा के नीचे कहीं स्थान दे दें।
8. पूजा करने वक्त इसका अवश्य ध्यान रखें कि दीपक, पूजा करने वाले व्यक्ति के दाईं ओर रखी हो। बाईं ओर दीपक का होना अशुभता का प्रतीक होता है। इसके आलावे पूजा में ताम्र पात्र का हीं प्रयोग करें। क्योंकि तांबा बेहद शुभ धातु माना जाता है।
9. घर के मंदिर को हमेशा ताजे फूलों के साथ सजाएं। मंदिर के आस पास कोई भी टूटी-फूटी बेकार सामान एकदम भी ना रखें। इससे पूजा करने वाले का मन एकाग्र नहीं रहता। जिससे उन्हें पूजन का फल नहीं मिल पाता।
10. घर की मंदिर कंस्ट्रक्ट करवाते समय यह ध्यान रखें कि मंदिर की स्थिति कभी भी सीढ़ी, टॉयलेट या किचन के ठीक ऊपर या नीचे ना हो। यह फलीभूत नहीं होता है। इसके अलावा मंदिर में हल्के रंग का इस्तेमाल करें। कोमल रंग शांति का प्रतीक है।
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