ज्योतिष शास्त्र की माने तो अगर किसी की कुंडली में नागदेव से संबंधित कोई दोष हो तो तो जीवन में समस्याओं का आना जाना लगा रहता है। इसके निवारण के लिए फिर अनेक पूजन किये जाते है। अगर कुंडली में नाग सर्प दोष ,विष योग ,विष कन्या योग या फिर अश्वगंधा योग है तो आपको विशेष ध्यान देने की जरुरत है क्यूंकि इसके निवारण के लिए आपको नागदेव का पूजन करना होगा। जानकारों की माने तो कुंडली में यह दोष होने से तरक्की के रास्ते में रुकावटें उत्पन होती है। आपको बता दें कि इस बार नागपंचमी 13 अगस्त 2021 को है। नागपंचमी पर इन दुर्योगों के उपाय करने का सबसे अच्छा दिन है।
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि किन किन संभावित परिस्थियों में यह दोष हमारी कुंडली में उत्पन होते है। आइये देखते कि कौन से दोष किस परिस्थिति में उत्पन होते है। :
विषयोग :
1. जब कुंडली में चन्द्रमा और शनि किसी भी भाव में एकसाथ बैठे हो तो इससे विष योग बन जाता है।
2. गोचर की स्तिथि में जब शनि चन्द्रमा के ऊपर से या जब चन्द्रमा शनि के ऊपर से निकलता है तब भी कुंडली में विष योग बनता है।
3. ज्योतिष के जानकार ऐसा मानते हैं कि कई बार मात्र चन्द्रमा पर शनि की दृष्टि से भी विष योग बनता है।
4. जब शनि कर्क राशि के पुष्य नक्षत्र में हो और चंद्रमा मकर राशि में श्रवण नक्षत्र में हो या फिर चन्द्रमा और शनि ग्रह विपरीत दशा में हों और दोनों ग्रह अपने-अपने स्थान से एक दूसरे को मात्र देख भी रहे हों तो भी इससे कुंडली में विष योग नामक दोष उत्पन हो जाता है।
5. ज्योतिष विद्वानों के अनुसार यदि कुंडली में 8वें स्थान पर राहु हो और शनि मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक लग्न में हो तो भी विष योग दोष बन जाता है।
शादी-विवाह में रुकावट दूर करने के लिए ज्योतिषी से पूछिए सरल उपाय
जिस प्रकार ग्रहो की चाल से कुंडली में विषयोग बन जाता है , वैसे ही विषकन्या दोष के भी योग बन जाते है। आइये समझते है कि कुंडली में किन कारणों से विषकन्या दोष बन जाते है
विषकन्या योग :
1.कुछ ज्योतिष विद्वानों की जानकारी के अनुसार शनि अगर प्रथम भाव में, सूर्य पंचम भाव में और मंगल नवम भाव में हो तो ऐसी स्थिति में 'विषकन्या' योग बनता है।
2. किसी महिला की जन्मपत्रिका में अगर लग्न व केन्द्र में पाप ग्रह हों व समस्त शुभ ग्रह शत्रु क्षेत्री या षष्ठ, अष्टम व द्वादश स्थानों में हो तो भी विषकन्या योग बनता है।
3. अगर किसी महिला का जन्म रविवार, मंगलवार व शनिवार को 2,7,12 तिथि के अन्तर्गत अश्लेषा, शतभिषा, कृत्तिका नक्षत्र में हो तो उसकी कुंडली में भी विषकन्या योग बनता है।
बहरहाल हमारे ज्योतिष विद्वानों के अनुसार इन सभी दोषों का उपाय है। नागपंचमी के शुभ मुहूर्त पर हम नागदेव का पूजन पर इन दोषों के कुप्रभाव से छुटकारा प्राप्त कर सकते है।
नागपंचमी पर करें ये उपाय :
1.नागपंचमी से पूर्व ही भोजन ग्रहण करें तथा इस दिन उपवास करें।
2. नाग देवता की पूजा करने से पूर्व इस बात का विशेष ध्यान रखें कि नाग देव का चित्र या फिर उनकी मूर्ति को लकड़ी के पाट के उपर स्थापित करके ही पूजन करें तथा भगवान शिव और पार्वती के चित्र या मूर्ति के साथ ही नागदेव की पूजा करें।
3. मूर्ति पर हल्दी, कंकू, रोली, चावल और फूल चढ़कर पूजा की जानी चाहिए फिर इसके बाद नाग मूर्ति पर कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर चढ़ाना चाहिए ।
4. पूजन करने के बाद नाग देवता की आरती अवश्य की जानी चाहिए तभी उचित फल मिलता है ।
5. नाग पंचमी की कथा अवश्य सुने और श्रीसर्प सूक्त का पाठ भी करें।
6. पुरोहित के द्वारा बताये गए नागदेवता के मन्त्र का जाप करते हुए घर में सभी जगह जल का छिड़काव करें।
7. माना जाता है कि नाग पंचमी के दिन श्रीमद भागवत पुराण और श्री हरिवंश पुराण का पाठ करवाने से लाभ मिलता है
8. चंदन का तिलक अपने माथे पर लगाएं। अपने घर में चारों दिशाओं में कर्पूर जलाएं।ऐसा कहा जाता है कि कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष खत्म होते है।
9. नाग पंचमी के दिन शिव मंदिर में जहां शिव मूर्ति पर नाग ना हो वहां नाग अवश्य दान करें। इस दान के लिए नागपंचमी का दिन अहम माना जाता है।
यह भी पढ़ें-
जानिए अपने हर रोज़ के सपने का अर्थ, क्या संकेत देते हैं आपको आपके सपने
जानें कैसे रख सकते हैं अपने घर को वास्तु दोष से दूर, करें ये उपाय