हिंदू धर्म में त्योहारों को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। अधिकतर लोगों त्योहारों में व्रत भी रखते है जिसे उनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाए और उनके घर में सुख-शांति बनी रहे कभी संकट के बादल ना मंडराए।
बात दें कि इस वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरूथिनी एकादशी व्रत रखा जाता है और यह शुभ दिन इस बार 07 मई दिन शुक्रवार को पड़ रहा है। इस दिन महिलाएं भगवान श्री विष्णु जी के लिए व्रत रखती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है जिससे भगवान विष्णु का आशीर्वाद बना रहे। पूजा करते समय वरूथिनी एकादशी व्रत की कथा का श्रवण किया जाना अति शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस कथा को पढ़ने से आप के मन को शांति और जीवन में सारे दुख दूर हो जाते हैं।
तो आइए जानते हैं कि वरूथिनी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में-
वरूथिनी एकादशी तिथि-
एकादशी की शुरुआत 06 मई यानी गुरुवार से दोपहार 02 बजकर 10 मिनट
समापन 07 मई अगले दिन के दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक
07 मई को वरूथिनी एकादशी के व्रत को रखा जाएगा।
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वरुथिनी एकादशी व्रत के पारण का समय
इस दिन जो लोगों वरूथिनी एकादशी का व्रत को रखते है तो उनके व्रत का समय 08 मई के दिन प्रातः 05 बजकर 35 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 16 मिनट के बीच लेना चाहिए। व्रत को करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व पारण हो जाए। द्वादशी तिथि का समापन 08 मई को शाम 05 बजकर 20 मिनट पर हो जाएगा।
वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व
माना जाता है कि वरूथिनी व्रत भगवान विष्णु को अति प्रिय होता है। यह भी कहा गया है कि जो भक्त इस व्रत को पूरे विधि विधान के साथ पूरा करता है तो उसे समस्त पापों से छुटकारा मिलता है और उन पर विष्णु भगवान की विशेष कृपा बनी रहती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसे भगवान श्री हरि के चरणों में स्थान मिलता है।
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