myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Varuthini ekadashi 2021 : auspicious pooja timings significance

जानें वरुथिनी एकादशी व्रत की पूजा मुहूर्त, पारण समय और महत्व

Myjyotish Expert Updated 04 May 2021 10:32 PM IST
Varuthini Ekadashi
Varuthini Ekadashi - फोटो : Google
विज्ञापन
विज्ञापन

हिंदू धर्म में  त्योहारों को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। अधिकतर लोगों त्योहारों में व्रत भी रखते है जिसे उनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाए और उनके घर में सुख-शांति बनी रहे कभी संकट के बादल ना मंडराए।

बात दें कि इस वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरूथिनी एकादशी व्रत रखा जाता है और यह शुभ दिन इस बार 07 मई दिन शुक्रवार को पड़ रहा है। इस दिन महिलाएं भगवान श्री विष्णु जी के लिए व्रत रखती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है जिससे भगवान विष्णु का आशीर्वाद बना रहे। पूजा करते समय वरूथिनी एकादशी व्रत की कथा का श्रवण किया जाना अति शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस कथा को पढ़ने से आप के मन को शांति और जीवन में सारे दुख दूर हो जाते हैं।

तो आइए जानते हैं कि वरूथिनी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में-

वरूथिनी एकादशी तिथि-
एकादशी की शुरुआत 06 मई यानी गुरुवार से दोपहार 02 बजकर 10 मिनट
समापन 07 मई अगले दिन के दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक
07 मई को वरूथिनी एकादशी के व्रत को रखा जाएगा।

शनि त्रियोदशी पर कोकिलावन शनि धाम में चढ़ाएं 11 किलों तेल और पाएं अष्टम शनि ,शनि की ढैय्या एवं साढ़े - साती के प्रकोप से छुटकारा : 08 मई 2021 | Sade Sati Nivaran Puja

वरुथिनी एकादशी व्रत के पारण का समय
इस दिन जो लोगों वरूथिनी एकादशी का व्रत को रखते है तो उनके व्रत का समय 08 मई के दिन प्रातः 05 बजकर 35 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 16 मिनट के बीच लेना चाहिए।  व्रत को करते समय  इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व पारण हो जाए। द्वादशी तिथि का समापन 08 मई को शाम 05 बजकर 20 मिनट पर हो जाएगा।

वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व
माना जाता है कि वरूथिनी व्रत भगवान विष्णु को अति प्रिय होता है। यह भी कहा गया है कि जो भक्त इस व्रत को पूरे विधि विधान के साथ पूरा करता है तो उसे समस्त पापों से छुटकारा मिलता है और उन पर विष्णु भगवान की विशेष कृपा बनी रहती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसे भगवान श्री हरि के चरणों में स्थान मिलता है।

ये भी पढ़े :

हनुमान के वो गुण जिससे कर सकते हैं आप अपने व्यक्तित्व का विकास

क्या कोरोना वायरस का कहर कम होने वाला है? जानें ज्योतिष शास्त्र के अनुसार

कौन थी माता पार्वती और भगवान शिव की तीन बेटियां, जानिए इसकी कथा


 
  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X