सावन के तीसरे मंगला गौरी व्रत में बन रहा है ये अनोखा संयोग, पूजा द्वारा घर में होगा सुख समृद्धि का आगमन
मंगला गौरी पूजा, या श्रवण मंगला गौरी पूजा, विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है. यह सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है. यह श्रावण में मंगलवार को मनाया जाता है. मंगला गौरी पूजा नवविवाहित महिलाओं द्वारा पांच साल तक की जाती है. मंगला गौरी पूजा, या श्रवण मंगला गौरी पूजा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में कुछ स्थानों पर विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत भी है. यह सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है. यह श्रावण के मंगलवार को मनाया जाता है.
सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत 2 अगस्त के दिन रखा जाएगा. मंगलवार के दिन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि, रवि योग के साथ ही शिव योग का निर्माण भी होगा. इस तीसरे मंगला गोरी व्रत में विधि विधान द्वारा पूजा करने से सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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मंगला गौरी व्रत नियम
महिला को प्रात:काल स्नान करना चाहिए, गौरी की मूर्ति को हल्दी से तैयार कर उसे लाल रंग के वस्त्र से सजाना चाहिए. पूजा का सारा सामान तैयार रखा हुआ होना चाहिए. कच्चे चावल को चांदी की थाली में रखना चाहिए है, कलश को चावल की थाली में रखना चाहिए, कलश में पानी भरा होना चाहिए और कलश के अंदर पांच पान के पत्ते रखें और हल्दी के साथ नारियल रखना चाहिए, हल्दी से बनी गौरी की मूर्ति रखें और पूजा शुरू करने से पहले गणेश की पूजा करें और फिर दूध, पानी छिड़क कर हल्दी गौरी का अभिषेक करना शुरू करें. फिर फूलों से पूजा एवं मंत्र जाप किया जाता है जिसके बाद एक मंगलरात्रि पूरी होती है. मंगला गौरी की कहानी पढ़ी जाती है.
मंगला गौरी पूजा मंत्र
मंगला गौरी पूजन करने के साथ ही देवी के मंत्र जाप करना भी उत्तम होता है. इस शुभ समय पर देवी मंत्र का जाप करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है तथा परिवार में भी शुभता का आगमन होता है.
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
मंगला गौरी के दिन होगा नाग पंचमी पूजन
सावन के तीसरे मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत के साथ ही नाग पंचमी का दिन भी होगा. इसी के साथ रवियोग भी निर्मित होगा. ये दिन ऋगवेदीय उपाकर्म के लिए भी शुभ होगा.
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ऋग्वेदिय उपाक्रम के दोरान जनेऊ संस्कार गायत्री मंत्र दीक्षा कार्यों को किया जाता है. नाग पंचमी का दिन होने के कारण इस दिन नाग पूजन करने का विधान होता है. इस शुभ दिन देवी पार्वती के साथ भगवान शिव का पूजन करेम तथा साथ ही नाग देव का भी पूजन अवश्य करना चाहिए. यह दिन आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है. नाग जीवन में संतान सुख धन समृद्धि के कारक भी माने जाते हैं. यदि इस दिन इनक अपूजन किया जाए तो ग्रह दोष निवारण भी संपन्न होता है.
मंगला गौरी पूजन से जहां मंगल दोष शांति होती है तथा विवाह से संबंधित समस्याओं का निवारण होता है. उसी प्रकार नाग पंचमी का पूजन करने से राहु केतु से उत्पन्न होने वाले दोष भी शांत होते हैं. जीवन में नकारात्मकता भी दूर होती है.
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