भगवान शिव को भूलकर भी अर्पित न करें ये चीजें , हो सकता है नुकसान
भगवान शिव का पूजा करने का सबसे अच्छा दिन सोमवार होता है। उस दिन उनकी पूजा सच्चे मन से करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है की भगवान शिव की पूजा बृहस्पति को भी करने से फल दो गुना मिलता है । क्योंकि बृहस्पति का दिन शिव जी के अराध्य का है और उस दिन पूजा पूरे मन से करने से उसका फल बड़ जाता है ।
शिव की भी करने का अपना अलग ही नियम है उनको क्या अर्पित करना है क्या नहीं ये सब बातों का ध्यान रखना जरूरी होता हैं । क्योंकि शिव एक वैरागी है। वो निवास स्थान समशान है ।आइए जाने की भगवान शिव पूजा में क्या क्या वर्जित हैं –:
तुलसी के पत्ते
भगवान शिव को तुलसी के पत्तों को नहीं चढ़ाया जाता है क्योंकि भगवान शिव ने तुलसी पति जालंधर (उदंड राक्षस )का वध किया था। वैसे तो शिव भोले भाले है आप जिस भी साधारण रूप से उनकी पूजा करे उन्हें उनकी मान्य हो जाता है लेकिन तुलसी का भोग ना लगावे और ना ही शिवलिंग पर अर्पित करें ।
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शंख का इस्तेमाल ना करे
शंख का इस्तेमाल हर पूजा पाठ में किया जाता है। कभी पूजा के बीच में तो कभी पूजा शुरू होने से पहले बजाया जाता हैं। पर भगवान शिव की पूजा में शंख नहीं बजाया जाता है क्योंकि शिव ने शंख चूड़ का वध अपने त्रिशूल से से किया जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया और उस भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई थी । कारण है की ना ही पूजा में शंख बजाया जाता है और ना ही अभिषेक किया जाता है ।
हल्दी
वैसे तो हल्दी को शुभता माना जाता है । हर देवी– देवताओं के पूजा में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। मान्यता हैं कि शिवलिंग एक पुरुष का रूप है और हल्दी एक स्त्रीयों का वस्तु और भगवान शिव एक वैरागी है तो इस कारण मनाही होती है की हल्दी ना चढ़ाएं ।
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लाल पुष्प
देखा जाए तो सब देवी– देवताओं को कुछ अलग – अलग ही फूल अर्पित करते है। शिव को लाल फूल अर्पित करना वर्जित है। कही –कही ऐसी मान्यता है की भगवान शिव को हम सिर्फ लाल फूल में कनेर और कमल के पुष्प को ही अर्पित कर सकते हैं। पर कही –कही लाल वस्तुएं ही वर्जित है ।
नारियल का पानी
कहते है की भगवान शिव को नारियल का पानी नहीं चढ़ाते है। ना ही अभिषेक में इसका इस्तेमाल कर सकते है । मान्यता है की आप पूजा जिस मन्नत को ले कर रही है वो सफल नहीं होता है।
केतकी का पुष्प
मान्यता है की केतकी के पुष्प ने ब्रह्म देव के झूठ में साथ दिया था जिससे भगवान शिव क्रोधित हो कर केतकी को श्राप दे दिया ।जिस कारण शिव जी को केतकी के पुष्प अर्पित नहीं किया जाता हैं।
सिंदूर
माना जाता है की सिंदूर स्त्रियों की सुहाग की निशानी हैं। वही शिव संहारक के रूप में देखा जाता है तो इसलिए भगवान शिव को सिंदूर चढ़ना मना है।
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