सर्प दोष की शांति के लिए बन रहा है नाग पंचमी का विशेष योग, जाने इसके महत्व के बारे में विस्तार से
सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन नागों का पूजन होता है. नाग पंचमी का दिन काल सर्प शांति हेतु भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यताओं के अनुसर यदि किसी जातक की कुंडली में राहु केतु का अधिक प्रभाव हो कुंडली के ग्रह राहु केतु से ग्रसित हों तो ऎसे में वह जातक काल सर्प दोष से प्रभावित होता है.
कालसर्प शांति पूजा क्यों करें?
बहुत से लोग अपनी कुंडली में कालसर्प योग के बारे में जानते हैं लेकिन इसे नजरअंदाज कर देते हैं. तभी जीवन में समस्याएं शुरू होती हैं. पेशेवर जीवन में सफल होने के लिए, समाज में अपना नाम और पहचान बनाने के लिए और जीवन में हम जो चाहते हैं और जो चाहते हैं उसे पूरा करने के लिए कालसर्प शांति पूजा करनी होती है. कुंडली में कालसर्प योग का ज्ञान होते ही इस पूजा को करना अच्छा है. कालसर्प शांति पूजा क्यों करें
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जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग होता है, उसे यह पूजा स्वयं करनी होती है. यदि बहुत छोटे बच्चे की कुंडली में कालसर्प योग है तो उसके माता-पिता को यह पूजा करनी चाहिए. यदि आपकी कड़ी मेहनत से आपको मनचाहा फल नहीं मिलता है तो आपको यह पूजा करनी चाहिए.
कालसर्प शांति पूजा करने के लाभ
कालसर्प शांति करने के बाद सांपों की 9 विभिन्न प्रजातियों से आशीर्वाद प्राप्त होता है.
कालसर्प शांति पूजा के साथ राहु और केतु पूजा सफलता के द्वार खोलती है.
कमाया हुआ धन सही उद्देश्य के लिए खर्च किया जाता है.
मन से अज्ञात भय दूर हो जाता है.
मन शांत होता है और व्यक्ति सकारात्मक तरीके से सोचने लगता है.
समाज में मान सम्मान मिलता है और करियर व्यवसाय में भी सफलता मिलती है.
पारिवारिक संबंध अच्छे और मजबूत होते हैं.
कालसर्प शांति पूजा व्यक्ति को बुरी शक्तियों और ऊर्जाओं से बचाती है.
परिवार में अपने माता-पिता और बुजुर्ग लोगों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
सर्प का भय दूर हो जाता है. व्यक्ति को बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है.
कालसर्प शांति पूजा द्वारा अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है और अपने जीवन में सफलता प्राप्त होती है.
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हिंदू पौराणिक कथाओं और धार्मिक संस्कारों में नागों या नागों का हमेशा महत्वपूर्ण स्थान रहा है. नागों का प्रतीक नाग माना जाता है. नाग पंचमी भारत में सांपों की पूजा करने के लिए मनाया जाने वाला हिंदू त्योहार है. यह नेपाल और भारत के अधिकांश हिस्सों में विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है. महाराष्ट्र में शिराले गांव त्योहार के दौरान मनाई जाने वाली अपनी अनूठी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है.
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