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Home ›   Blogs Hindi ›   Shukra Pradosh Vrat: Venus Pradosh Vrat Puja will remove economic crisis will be blessed with prosperity

Shukra Pradosh Vrat: शुक्र प्रदोष व्रत पूजा से दूर होंगे आर्थिक संकट मिलेगा समृद्धि का आशीर्वाद

MyJyotish Expert Updated 26 May 2022 04:44 PM IST
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा से दूर होंगे आर्थिक संकट मिलेगा समृद्धि का आशीर्वाद 
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा से दूर होंगे आर्थिक संकट मिलेगा समृद्धि का आशीर्वाद  - फोटो : Google
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शुक्र प्रदोष व्रत पूजा से दूर होंगे आर्थिक संकट मिलेगा समृद्धि का आशीर्वाद 

 
भद्रकाली जयंती के पश्चात प्रदोष व्रत करने का विशेष विधान रहा है, जहां भद्रकाली पूजन शक्ति का प्रतिक है वहीं प्रदोष पूजन शिव का प्रतीक होता है. भद्रकाली जयंती के पश्चात मनाया जाने वाला यह व्रत काफी विशेष होता है क्योंकि देवी पूजा के पश्चात भगवान शिव का अभिषेक पूजन करने से पूजन संपूर्ण होता है. शक्ति पूजन के साथ भगवान शिव का पूजन समस्त प्रकार के सौभाग्य को प्रदान करने वाला होता है.

इस बार शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत होने से यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा. तथा आर्थिक सुख समृद्धि हेतु भी यह दिन अत्यंत ही शुभ माना गया है. प्रदोष व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है. प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. 

शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधान 

ज्येष्ठ प्रदोष पूजा का समय : 27 मई, शाम 7:02 रात 9:10 बजे
त्रयोदशी तिथि 27 मई, 2022 11:48 पूर्वाह्न से प्रारंभ.
त्रयोदशी तिथि समाप्त 28 मई, 2022 दोपहर 01:10 बजे.

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देश के विभिन्न हिस्सों में लोग इस व्रत को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करते हैं. यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती के सम्मान में मनाया जाता है. इस दिन कई स्थानों पर झंकियों का आयोजन भी होता है तथा भंडारों इत्यादि भी किया जाता है. भद्रकाली पूजा का समापन इस के साथ पूर्ण होता है.  भारत के कुछ हिस्सों में, भक्त इस दिन भगवान शिव के नटराज रूप की पूजा करते हैं.

स्कंद पुराण के अनुसार प्रदोष व्रत पर उपवास करने के दो अलग-अलग तरीके हैं. पहली विधि में, भक्त पूरे दिन और रात सख्त उपवास रखते हैं और जिसमें रात्रि जागरण भी शामिल है. दूसरी विधि में सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखा जाता है, और शाम को भगवान शिव की पूजा करने के बाद उपवास संपन्न किया जाता है.

शुक्र प्रदोष व्रत शुभ योग 

शुक्र प्रदोष के समय पर सौभाग्य योग भी होगा इसके बाद शोभन योग शुरू होगा. सौभाग्य और शोभन योग मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम योग माने जाते हैं.इस समय पर देवी और शिव भक्तों के लिए इस प्रदोष व्रत का महत्व और बढ़ जाता है. प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और सौभाग्य योग का संयोग तथा शुक्रवार के दिन इस व्रत का होना धन धान्य की वृद्धि का उत्तम कारक बन जाता है. 

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हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि प्रदोष के शुभ दिन पर, भगवान शिव, देवी पार्वती के साथ मिलकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं. इसलिए भगवान शिव के अनुयायी उपवास रखते हैं और भगवान के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्ति भाव के साथ पूजा करते हैं. प्रदोष के दिन गोधूलि काल यानी सूर्योदय और सूर्यास्त से ठीक पहले का समय शुभ माना जाता है. इस दौरान पूजा की जाती हैं. सूर्यास्त से एक घंटे पहले, भक्त स्नान करते हैं और पूजा के लिए तैयार हो जाते हैं.

देवी पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिक और नंदी के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है. जिसके बाद अनुष्ठान होता है जहां भगवान शिव की पूजा की जाती है. कुछ स्थानों पर शिवलिंग की पूजा भी की जाती है. शिवलिंग को दूध, दही और घी जैसे पवित्र पदार्थों से स्नान कराया जाता है. पूजा की जाती है और भक्त शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाते हैं. कुछ लोग प्रदोष व्रत के दिन बिल्वपत्र चढ़ाने से बहुत ही शुभ फल प्राप्त होता है.
 

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