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जानें कैसे शनि के प्रकोप से बचाता है दशरथ कृत शनि स्तोत्र

Myjyotish Expert Updated 03 May 2021 11:15 PM IST
Astrology
Astrology - फोटो : Myjyotish
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शनिदेव भगवान को न्याय का देवता कहा जाता है। शनि देव सब लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते है। कहां जाता है कि अगर किसी शख्स पर शनिदेव की कृपा हो जाए तो उसके जीवन में मानों ऐसा होता है कि उसकी किस्मत चमक जाती है, लेकिन अगर इसी का उलटा हो जाए कि शनिदेव का प्रकोप हो तो उसका जीवन बर्बाद होने में देरी नहीं होती हैं।

मान्यता है कि जब किसी व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती, ढैया और अन्य महादशा चल रही होती है तो उसे शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तीनों तरह से प्रताड़ना सहनी पड़ती है।

अगर आप शनिदेव के प्रकोप से बचना चाहते है तो उन्हें प्रसन्न करने के लिए हर शनिवार को दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ जरूर करें। ऐसा करने से माना जाता है कि शनि की साढ़ेसाती, ढैया आदि किसी भी तरह की शनि संबन्धी पीड़ा से मुक्ति देते हैं।

तो आइए जानते हैं शनि स्तोत्र, इसका महत्व और पूजा विधि।

ये है शनि स्तोत्र
नमः कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च
नमः कालाग्निरुपाय कृतान्ताय च वै नमः

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते

नमः पुष्कलगात्राय स्थुलरोम्णेऽथ वै नमः
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते

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नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नमः
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च

अधोदृष्टेः नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तु ते

तपसा दग्ध.देहाय नित्यं योगरताय च
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज.सूनवे
तुष्टो ददासि वै राज्यं रूष्टो हरसि तत्क्षणात्

देवासुरमनुष्याश्र्च सिद्ध.विद्याधरोरगाः
त्वया विलोकिताः सर्वे नाशं यान्ति समूलतः

प्रसाद कुरु मे सौरे! वारदो भव भास्करे
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबलः

माना जाता है कि शनि स्तोत्र के रचयिता राजा दशरथ हैं। उन्होंने ही इस स्तुति से शनिदेव को प्रसन्न किया था। तब शनिदेव ने प्रसन्न होकर उनसे वर मांगने को कहा था। इसके बाद राजा दशरथ ने शनिदेव से विनती की कि वे देवता, असुर, मनुष्य, पशु-पक्षी किसी को भी पीड़ा न दिया करें। उनकी बात सुनकर शनिदेव बेहद प्रसन्न हुए और कहा कि आज के बाद जो भी इस दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करेगा, उसे शनि के प्रकोप से मुक्ति मिल जाएगी।

इस तरह करें शनि स्तोत्र
हर  शनिवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके या शाम को इसका पाठ किया जा सकता है। इस दिन शनिदेव के मंदिर में उसके समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद उन्हें सच्चे दिल से नमन करके दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें और अपने ऊपर आए  संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करें। पूजा के बाद शनि देव के मंदिर में जाकर तिल का तेल या सरसों के तेल में काले तिल डालकर चढ़ाएं और अपनी इच्छा अनुसार जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार दान करें।

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