शनि जयंती के शुभ अवसर पर कोकिलावन शनि धाम में चढ़ाएं 11 किलों तेल और पाएं अष्टम शनि ,शनि की ढैय्या एवं साढ़े - साती के प्रकोप से छुटकारा : 22-मई-2020
कृष्ण की लीलाओं का बोध तो सभी को है। परन्तु इस बार जो लीला उन्होंने रची थी वह शनि देव के अहंकार पर बहुत भारी पड़ गई थी। पुराणों में बहुत सी गाथाएं है जिसमें स्वयं नर नारायण भगवान विष्णु ने धरती पर विभिन्न रूपों में अधर्म का नाशकर धर्म की स्थापना के लिए अवतार लिए है। इन्ही में से द्वापर युग में उनका एक मुख्य अवतार लीलाधर श्री कृष्ण का भी था। कथन अनुसार श्री कृष्ण का रूप बालावस्था में इतना मन - मोहक था की सभी देवता विभिन्न रूप धरकर बारी - बारी से श्री कृष्ण के दर्शन के लिए धरती लोक पर पधार रहे थे। सभी चाहतें थे की शीग्र - अतिशिग्र उन्हें कृष्ण के उस सुन्दर रूप के दर्शन हो जाएं। परन्तु सभी के धरती पर आने का एक अर्थ था जो धीरे - धीरे समाज में पहुंचना आवश्यक था।
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शनि देव को अपनी शक्ति और पराक्रम पर बहुत अहंकार हो गया था। जिसके कारण वह कृष्ण को देखने के लिए इतने उत्सुक हो गए की अपनी बारी की प्रतीक्षा किए बिना ही धरती पर आने का निश्चय कर लिया। श्री कृष्ण तो अंतर्यामी थे , उन्होंने शनि की इस योजना को भाप लिया और इसे विफलकर शनि के अहंकार को चूर करने के लिए हनुमान जी की सहायता ली। शनि जब धरती पर आए तो कोकिलावन में उनका सामना हनुमान जी से हुआ। कृष्ण दर्शन में विग्न डालने वालें को परास्त करने के लिए शनि ने पूर्ण शक्ति का उपयोग किया अर्थात शनि और हनुमान जी में भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में लड़ते - लड़ते शनि को यह एहसास हो गया की हनुमान कोई साधारण वानर नहीं है। स्वयं को पराजित होता महसूस कर शनि देव का अहंकार चूर -चूर होने लगा।
शनि जयंती के पावन अवसर पर कोकिलावन शनि धाम में कराएं तेल अभिषेक
शनि ने अंत में आकर हनुमान को अपना स्वरुप प्रकाशित करने को आग्रह किया। तब हनुमान जी ने उन्हें सारी कथा बताई और उन्हें अपना असल स्वरुप दिखाया। यह सब जानकर शनि ने श्री कृष्ण के दर्शन का समय जानने की इच्छा व्यक्त की। जिसका उत्तर देते हुए हनुमान ने उन्हें सही समय आने तक वही प्रतीक्षा करने को कहा। आज भी शनि देव की पूजा से पहले वहां स्थित हनुमान मंदिर में हाज़िरी लगाना आवश्यक होता है। कृष्ण ने इसी स्थान पर शनिदेव को दर्शन दिए थे। शनि के प्रकोप और दुष्प्रभावों से बचने के लिए इस मंदिर में तेल से अभिषेक करना बहुत लाभदायक माना जाता है।
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