शनि जयंती के शुभ अवसर पर कोकिलावन शनि धाम में चढ़ाएं 11 किलों तेल और पाएं अष्टम शनि ,शनि की ढैय्या एवं साढ़े - साती के प्रकोप से छुटकारा : 22-मई-2020
शनि देव के विषय में पौराणिक काल से ही असंख्य गाथाएं प्रचलित है। परन्तु उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना जिसके कारण उन्हें अपनी माता से श्राप प्राप्त हुआ था , यह सभी से अनजान है। शनि देव सूर्य देव और माता छाया के पुत्र थे। शनि देव के जन्म के समय से ही सूर्य देव माता छाया का सम्मान नहीं करतें थे । उनके तेज से सदैव माता को बहुत दुःख झेलना पड़ता था। एक बार जब माता छाया के लिए सूर्य देव का तेज असहनीय हो गया। तब उन्होंने अपने मायके जाने का निश्चय किया परन्तु वह यह बात किसी को बताना नहीं चाहती थी। इसलिए उन्होंने अपने आकृति से एक स्वरुप को उत्पन्न किया जिसका नाम स्वर्णा था। वह रूप - रंग से पूर्णता माता छाया के समान थी।
शनि जयंती के पावन अवसर पर कोकिलावन शनि धाम में कराएं तेल अभिषेक
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