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Home ›   Blogs Hindi ›   Shani Dev: Know when the sight of Shani Dev gives auspicious fruits

Shani Dev: जानिए शनि देव की दृष्टि कब देती है शुभ फल

MyJyotish Expert Updated 03 Jun 2022 02:43 PM IST
जानिए शनि देव की दृष्टि कब देती है शुभ फल
जानिए शनि देव की दृष्टि कब देती है शुभ फल - फोटो : google
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शनि देव कैसे देते हैं अपना फल और शनि की दृष्टि कब देती है शुभ फल


शनि का प्रभाव कुंडली में सबसे अधिक गहरा माना गया है. शनि की दशा उसी साढ़ेसाती और ढैय्या का असर जातक के जीवन को पूर्ण रुप से बदल देने की क्षमता रखता है. शनि कर्म के आधार पर फल देता है, कुंडली में शनि अपनी स्थिति और गोचर बदलने पर उस अनुरुप फल देता है. जहां शनि शत्रु ग्रहों की राशियों को कष्ट होता है वहीं मित्र राशियों में अनुकूल फल देने में सहायक होता है. ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह के बारे में विस्तार से बताया गया है. कुंडली में सभी नौ ग्रह अपने-अपने घरों में अलग-अलग परिणाम देते हैं और जब वे किसी अन्य घर में गोचर करते हैं तो वे अलग-अलग परिणाम देते हैं. मित्रों और शत्रुओं की बात करें तो ग्रहों में भी मित्रता और शत्रुता देखी जाती है.

शनि ग्रह, जिसकी सजा से लोग सबसे ज्यादा डरते हैं, अगर हम बात करें मित्र ग्रहों की तो बुध और शुक्र ग्रह शनि के मित्र ग्रह कहे जाते हैं. यदि ये ग्रह एक साथ एक घर में भ्रमण करते हैं तो ये शुभ फल देते हैं.

गुरु अर्थात बृहस्पति ग्रह को शनि के समान माना गया है. यानी न दोस्ती और न दुश्मनी का प्रभव इनके मध्य देखा जाता है.

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शनि के शत्रु ग्रहों की बात करें तो शनि के लिए सूर्य, चंद्रमा और मंगल शत्रु के समान माने गए हैं, अगर ये ग्रह शनि के साथ किसी घर में हों और शनि अच्छे परिणाम नहीं देते हैं कष्ट की स्थिति अधिक रहती है. 

ज्योतिष अनुसार कारक वस्तुओं के बारे में कहा जाता है कि शनि के शत्रु ग्रहों की कारक वस्तुओं को शनि की वस्तुओं के साथ नहीं रखना चाहिए क्योंकि इसके द्वारा अच्छे परिणाम नहीं मिल पाते हैं. इसके विपरित शनि के मित्र ग्रहों की कारक वस्तुओं को शनि की वस्तुओं के साथ रखा जा सकता है.

जहां तक बृहस्पति ग्रह का संबंध है, तो बृहस्पति से संबंधित चीजें जैसे पीली, पीली दाल, केसर आदि कुछ भी शनि संबंधित चीजों के साथ रखा जा सकता है, लेकिन दूरी बनाए रखते हुए इस कार्य को करना चाहिए.

शनि की राशि मित्रता और शत्रुता 

शनि ग्रह की बात करें तो शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं और शत्रु ग्रहों की राशियों पर उनकी कुटिल दृष्टि है.

मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल होने के कारण इस राशि के जातकों को शनि का प्रतिकूल प्रभाव झेलना पड़ता है.

वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है और शनि इनका मित्र है इसलिए इस राशि को शनि का शुभ फल मिलता है.

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कर्क राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है और सिंह राशि का स्वामी सूर्य है. शत्रु ग्रह की राशि होने के कारण इन दोनों राशियों पर शनि देव का नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है.

कन्या और मिथुन राशि का स्वामी बुध है, लेकिन साथ ही बुध भी सूर्य के बराबर है, इसलिए शनि इन राशियों पर अधिक कृपा नहीं करता है.

जहां तक धनु और मीन राशि के लोगों की बात है तो इन राशियों के स्वामी बृहस्पति ग्रह हैं, इसलिए शनि की समानता इन राशियों के लोगों के साथ की जाती है.

मकर और कुंभ राशि के स्वामी स्वयं शनि देव हैं, इसलिए आमतौर पर कहा जाता है कि इन राशियों के लोगों को इसके कारण शुभ फल मिलते हैं. शनि ग्रह का प्रभाव मैत्र एवं विरोधी भाव स्वरुप भी गहराई से जातक पर पड़ता है.
 

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