सत्यनारायण कथा व्यक्ति को यह शिक्षा प्रदान करती है जीवन में सत्य ही महत्वपूर्ण है। सत्यनारायण की भक्ति करना ही मनुष्य का एकमात्र धर्म हैं ।
ग्रंथों के अनुसार बताया गया हैं की एक बार नारदमुनि भ्रमण करते-करते मृत्युलोक पहुँच गए । मृत्युलोक में लोगों की दशा देख कर वो बहुत दुःखी हुए और भगवान विष्णु के पास इसके निवारण के लिए जा पहुँचे । भगवान विष्णु नारदमुनि की लोककल्याण की भावना को देख प्रसन्न हुए और तब नारायण ने स्वयं अपने मुख से सत्यनारायण की कथा और व्रत का वर्णन किया । नारायण ने नारद जी को बताया की इस संसार में सुख प्राप्ति का एक ही मार्ग हैं , वो है सत्यनारायण कथा। भगवान सत्यनारायण का पूजन एवं व्रत कथा जीवन में सफलता प्राप्त करने हेतु बहुत जरुरी होता है। किसी भी मंगल कार्य जैसे की मुंडन,ग्रह प्रवेश, शादी,जन्मदिन,आदि के समय इसका पाठ किया जाता है।
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यह कथा कई लोग भगवान को धन्यावद देने के लिए भी करते है और साल में एक बार किसी विशेष दिन पर इस कथा का आयोजन करते हैं ।
घर की शांति के लिए इस कथा का विशेष महत्त्व हैं । कहा जाता हैं कि कथा को सुनने मात्र से पुण्य के प्राप्ति होती है।
व्रत कथा में छोटी-छोटी कहानियों से बताया गया है कि सत्य की एक मनुष्य जीवन में कितनी महत्त्वता हैं। यह भी बताया जाता है कि असत्य से भगवान रुष्ठ होकर सुख संपत्ति , भाई -बंधु सब छीन लेते हैं।
कथा के पूजन में केले के पत्ते, फल, पंचामृत, सुपारी, पान ,तिल, मोली, रोली, कुमकुम होना आवश्यक हैं ।
भगवान सत्यनारायण की कथा एवं व्रत का वैसे कोई दिन निर्धारित नही हैं परंतु पूर्णिमा के दिन इसे शुभ माना गया हैं । अन्यथा किसी भी सुबह अवसर पर इसका आयोजन कर सकतें हैं।
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