पितृ कौन होतें है ?
पितृ परिवार के वो लोग है जिनकी मृत्यु हो चुकी हैं , विवाहिता-अविवाहित,बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष। कहा जाता है की जब पितरों को शांति मिलती है तो घर का वातावरण भी कुशल रहता है। पितृ घर की खुशहाली देखते है और बिगड़ते काम भी बनाते है । अगर उनकी अनदेखी की जाए तो वो रुष्ट भी जाते है और बनते काम भी बिगड़ जाते हैं ।
इस पितृ पक्ष गया में कराएं श्राद्ध पूजा, मिलेगी पितृ दोषों से मुक्ति : 01 सितम्बर - 17 सितम्बर 2020
इस वर्ष श्राद्ध पर क्या है विशेष ?
हर साल विश्व प्रसिद्ध मेले, यानी की पितृ मेले का आयोजन होता है, परंतु इस वर्ष कोरोना के चलते ऐसा नही होगी । सितंबर में लगने वाले इस मेले को बिहार सरकार ने जनहित के लिए इस वर्ष स्थगित कर दिया है। इस वर्ष नवरात्रि भी श्राद्ध के तुरंत बाद नही है बल्कि 1 महीने बाद है। ज्योतिषियों की माने तो कई सौ साल बाद ऐसा संजोग बना हैं कि लीप ईयर और अधिक मास साथ - साथ अनुभव किया गया हैं।
यदि श्राद्ध की तिथि याद न हो तो
शास्त्रों में यह विधान है कि यदि किसी को अपने पितरों, पूर्वजों के देहावसान की तिथि ज्ञात नहीं है तो ऐसी स्थिति में आश्विन अमावस्या को तर्पण किया जा सकता है। इसलिए इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इसके अलावा यदि किसी परिजन की अकाल मृत्यु हुई हो यानि यदि वे किसी दुर्घटना का शिकार हुए हों या फिर उन्होंनें आत्महत्या की हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। ऐसे ही पिता का श्राद्ध अष्टमी एवं माता का श्राद्ध नवमी तिथि को करने की मान्यता है।
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