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Ravivar Vrat Katha – रविवार इतवार व्रत कथा एवं पूजा विधि

myjyotish expert Updated 27 Jun 2021 03:28 PM IST
रविवार व्रत कथा एवं पूजा विधि
रविवार व्रत कथा एवं पूजा विधि - फोटो : google
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Ravivar (रविवार) Sunday Vrat Katha (व्रत कथा Vidhi : हिन्दू धर्म में हर दिन किसी न किसी देव की पूजा की जाती है ∣ जिसका विशेष विधि विधान होता है  ∣ किन्तु बहुत ही कम लोग जानते हैं रविवार को भी व्रत रखा जाता है और विधि विधान से पूजा की जाती है ∣ ये दिन सूर्य देवता का होता है इस दिन का व्रत करने से व्यक्ति की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है  ∣

अगर आप रविवार का व्रत रखने की सोच रहे किन्तु आपको इसके बारे में कुछ नहीं पता है तो ये लेख आपके लिए ही है∣ जिसमें हम आपको रविवार की पूजन विधि, और कथा बताएगें

रविवार व्रत कथा (Ravivar Vrat Katha in Hindi) –


एक नगर में एक बुढ़िया रहा करती थी  ∣ वो प्रति रविवार घर को गोबर से  लीपकर   और फिर भोजन बनाती थी और  भगवान को भोग लगाती थी   और   फिर स्वयं भोजन करती थी   ∣ 

एक दिन उसकी पड़ोसन जिसके घर से वहाँ गोबर लाती थी क्योंकि उसके घर में गाय नहीं थी उसने देखा की इसका घर तो बड़ा सम्पन्न रहता है ∣

घर में भगवान की कृपा से किसी तरह की कमी नहीं है    ∣
उस स्त्री ने बुढ़िया को गोबर लेने से मना कर दिया तब बुढ़िया ने रविवार को न भोजन बनाया और न खाया और न ईश्वर को भोग लगाया   ∣ 

तब भगवान सूर्य देव से उसे स्वप्न में कहा: कि तुने आज भोजन क्यों नहीं किया आज तेरा पूरे दिन का निराहार रविवार का व्रत हो गया, तब उसने कहा मेरी पड़ोसन ने गोबर देने से मना कर दिया इसलिए मैंने न आज खाना बनाया,न खाया और  न भोग लगाया  ∣ 

तब भगवान सूर्य देव ने कहा मैं तुझे एक गाय और बछड़ा दे रहा हूँ जो तेरी सारी मनोकामनाएं पूरी करेगें  ∣

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प्रात:जब बुढ़िया उठी तो उसने देखा कि अत्यंत सुंदर उसके आंगन में गाय और उसका बछड़ा है ∣ तभी एक रात्रि को उसकी पड़ोसन ने देखा कि वो गाय सोने का गोबर दे रही है  ∣ उसने उस गोबर को उठा लिया और अपनी गाय का गोबर वहाँ रख  दिया वहाँ  क ई दिनों तक ऐसा ही करती रही तब भगवान ने सोचा की मैं तो बुढ़िया की मदद कर रहता था और ये पड़ोसन उस बुढ़िया के फल को ले रही है ∣

एक दिन भगवान ने बड़ी तेज हवा तूफान चलाया जिसके कारण बुढ़िया ने गाय और बछड़े को घर के अंदर कर लिया और फिर उसने देखा कि वो तो सोने का गोबर देती है ∣ तो वो प्रतिदिन गाय और बछड़े को घर के अंदर रखने  लगी तब पड़ोसन को उसे ईर्ष्या होने लगी और उसने राजा के महल में जाकर सभा में कहा कि मेरी पड़ोसन के पास एक गाय और उसका बछड़ा है जो प्रति दिन सोने का गोबर देती है ∣

मुझें लगता है, कि वो आपके महल के योग्य है  ∣ भला हो बुढ़िया इतना सोना क्या करेगी तब राजा ने सिपाही को उस गाय और बछड़े को लाने को कहा वो बुढ़िया बहुत रोई पर किसी ने उसकी एक न सुनी तब भगवान राजा पर बहुत क्रोधित हुए और पूरा महल गोबर से भर दिया 

और राजा को स्वप्न में कहा: कि अरे मूर्ख तु इस गाय को अभी के अभी उस बुढ़िया के घर भेजा  मैंने उसे ये गाय दी अगर तुने ऐसा नहीं किया तो तु परिणाम भुगतने को तैयार हो जा तब राजा ने उस गाय और बछड़े को बुढ़िया के घर छोड़ने को कहा और साथ ही उसकी पड़ोसन को दण्ड देने क़ो कहा सिपाहियों ने वैसा ही किया और फिर राजा ने सारे नगर को ये आदेश दिया कि वो सभी नगरवासी हर रविवार का व्रत करें इसके प्रभाव से सारे नगर के लोग सुखी जीवन व्यतीत करने लगे   ∣
 

रविवार पूजा विधि -


सर्व मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु रविवार का व्रत श्रेष्ठ है ।  इस व्रत की विधि इस प्रकार है 

1. प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो स्वच्छ वस्त्र धारण करें । 

2.शान्तचित्त होकर परमात्मा का स्मरण करें ।  

3.भोजन एक समय से अधिक नहीं करना चाहिये ।

4.भोजन तथा फलाहार सूर्य के प्रकाश रहते ही कर लेना उचित है ।  

5.यदि निराहार रहने पर सूर्य छिप जाये तो दुसरे दिन सूर्य उदय हो जाने पर अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करें ।  व्रत के अंत में व्रत कथा सुननी चाहिये ।

6. व्रत के दिन नमकीन तेलयुक्त भोजन कदापि ग्रहण न करें । 

7.इस व्रत के करने से मान-सम्मान बढ़ता है तथा शत्रुओं का क्षय होता है ।  

8.आँख की पीड़ा के अतिरिक्त अन्य सब पीड़ायें दूर होती है ।

ये व्रत कथा भी पढ़े -

Somvar Vrat Katha Mangalvar Vrat Katha
Budhwar Vrat Katha Brihaspativar Vrat Katha
Shukravar Vrat Katha Shanivar Vrat Katha
Ravivar Vrat Katha  
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