सोमवार व्रत कथा (Somvar Vrat Katha) –
जिसमें कुछ बाराती और दूल्हा भी ठहरे थे जब दूल्हे को मंडप पर ले जाने की बात आयी तो दूल्हे के पिता को इस बात की चिंता हुई की अगर हमारे बेटे को काना होने के कारण कन्या पक्ष के लोगों ने मना कर दिया तो क्या होगा ∣ तभी उन्हें मामा और भांजे को देखा जिसमें भांजे को देखते ही उन्हें निर्णय लिया कि मंडप के सभी कार्य इसके साथ कर दिए जाए और बाकी सारे वैवाहिक कार्य मेरे बेटे के साथ हो जाए तो अच्छा होगा ∣ तब दूल्हे के पिता ने मामा से कहा कि अगर आपका भांज आज का दूल्हा बन जाए तो मंडप के कार्य हो जाएगे, तब मामा ने कुछ सोच विचार कर कहा कि यदि वो सब हमें मिल जाए तो बाराती पक्ष को मिलने वाला है ∣ तो मेरा भांज आज का दूल्हा बन जाएगा और दूल्हे के पिता ने शर्त मान ली और विवाह के सभी कार्य साहूकार के बेटे के साथ हुए जब वर वधू के पास पाणि ग्रहण के लिए गया तो उसने वधू को सब कुछ बता दिया जो कि वर पक्ष और मामा के बीच में हुआ था ∣ तब वधू ने कहा ये तो ब्रह्म विवाह के खिलाफ है अब आप ही मेरे पति है ∣ तब साहुकार के बेटे ने कहा मेरी आयु बहुत छोटी उसके बाद तुम्हारी क्या गति होगी ये जान लो किन्तु उसने कहा जो आपको गति होगी वहीं मेरी गति होगी और फिर दोनों ने भोजन किया और शेष रात्रि भी वो दोनों सोते रहे ∣
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सोमवार व्रत पूजा विधि-
सुबह होते ही वर ने कहा मैं जा रहा हूँ ,अगर मैं बच गया तो फिर हम जरूर मिलेगें ∣ और फिर जब वधू के यहाँ सारी बारात आयी तब वधू ने अपने पिता को सब बात बता दी जिसके चलते सारी बारात वहाँ से अपमानित होकर चली गयी ∣ साहुकार के बेटे का बारहवाँ वर्ष लगते ही उसकी तबियत बिगड़ने लगी मामा भी चिंता में पड़ गया तब एक काल से प्रेरित सर्प ने साहुकार के बेटे के प्राण निकल लिए उसी समय माता पार्वती और भगवान शिव वहाँ पर भम्रण के लिए वहाँ आए थे ∣ माता पार्वती ने कहा कि भगवान शिव आप तो सर्व दाता है आपका भक्त और उसकी पत्नी आपकी कितनी पूजा अर्चना करते हैं अगर साहुकार का बेटा इस दुनिया से चल गया तो साहुकार और उसकी पत्नी भी इस वियोग मे अपने प्राण त्याग देगें ∣ अत : आप को इस प्राण दान दे देना चाहिए भगवान शिव ने साहुकार के बेटे को प्राण दान दे दिए ∣ और जब साहुकार के बेटे को होश आया तो उसने मामा को उस कन्या के घर चलने को कहा जहाँ पर उसका पाणिग्रहण हुआ था जब कन्या ने उसे देख तो पहचान लिया और बोली यही तो है जो संकेत करके गए थे और विवाह की बाकी रस्में हुई ∣ और कुछ दिन व्यतीत होने के बाद अपने ससुराल से बहुत सारा धन लेकर वो कन्या समेत मामा भांजे घर को चल पड़े जब वो नगर के पास पहुंचे तब नगरवासी ने साहुकार के बेटे और भांजे को पहचान लिया और साहुकार को खबर कर दी, तुम्हार बेटा अपनी पत्नी और मामा संग यहाँ पर आ रहा है ∣ पहले तो साहुकार को विश्वास न हुआ किन्तु जब वर वधू ने साहुकार के चरणों को स्पर्श किया तब उन्हें मालूम चल गया की भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से भगवान ने उनके बेटे की अल्प आयु को दीर्घायु में बदल दिया है ∣ औंर फिर साहुकार ने बड़ा भारी यज्ञ कराया पंडितों और दीन हीन को दान दक्षिणा दी और भगवान शिव को प्रणाम किया ∣ये व्रत कथा भी पढ़े -
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