जब भी कोई व्यक्ति शनि का साढ़ेसाती और ढैय्या का नाम सुनता है, तो बहुत ही चिंता में पड़ जाता है, जबकि ऐसा माना जाता है कि शनि ग्रह कर्म प्रधान ग्रह है, आपके कर्मों के मुताबिक इसका प्रभाव शुभ और अशुभ होता है, ऐसे में अगर हम शनि ग्रह यहां बात करें तो शनि ग्रह कुंभ और मकर राशि का स्वामी माना जाता है, जबकि तुला राशि में इसका प्रभाव बहुत अधिक होता है तो वही मेष राशि में इसका प्रभाव बहुत ही कम, यानी की मेष राशि में इसका प्रभाव बहुत ही नकारात्मक यानी कि अशुभ होता है, इसलिए की मेष राशि में सूर्य देव का प्रभाव बहुत अधिक होता है, ऐसे में अगर हम ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखे तो सूर्य देव को शनि ग्रह का पिता बताया गया है, लेकिन ऐसे स्वभाव में दोनों में विरोधाभास देखने को मिलती है, और ऐसे में अगर हम बात करें तुला राशि के बारे में तो शनि का प्रभाव इसमें उच्च होता है, जिसके वजह से शनि भी इन पर ज्यादा हावी नहीं होता है और इस जातको पर शनि का प्रभाव सकारात्मक होता है,
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लेकिन इस समय शनि का प्रभाव 3 राशियों पर अधिक है, जिस राशियों पर साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है, ऐसे में अगर हम बात करें मकर राशि और कुंभ राशि के जातकों के बारे में तो इन पर शनि साढ़ेसाती का प्रभाव चल रहा है, आर्य तीसरी राशि तुला राशि पर शनि ढैय्या का प्रभाव है |
साढ़ेसाती और ढैय्या होता क्या है - आज हम जानेंगे कि आखिर साढ़ेसाती और ढैय्या होता क्या है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना गया कि हर मनुष्य के जीवन में तीन बार साढ़ेसाती का सामना करना पड़ता है, अगर हम बात करें कि पहले चरण में किन पर साढ़ेसाती का प्रभाव होता है तो इस स्थिति में शनि मनुष्य के मुख पर होता है, दूसरे चरण में अगर बात करें तो ऐसी स्थिति में शनि का प्रभाव उदर यानि पेट पर होता है, और तीसरे चरण में शनि का प्रभाव पैरों पर आ जाता है, और इसी क्रम को हम साढ़ेसाती कहते हैं, साढ़ेसाती का मतलब की शनि का प्रभाव साढ़े सात वर्ष तक रहता है, और ऐसे में हर चरण की अवधि लगभग ढाई वर्ष की होती है, और साढेसाती का प्रभाव तीन चरण में होता है |
आखिर कब मिलेगी इन राशियों को इससे मुक्ति - ऐसे में अगर हम बात करें शनि को लेकर तो शनि 14 जनवरी 2020 से मकर राशि में विचरण कर रहे हैं, और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह 29 अप्रैल 2022 तक रहेगे, जो कि लगभग ढाई वर्ष की अवधि तक रहेगी, इसके बाद से ही वह कुंभ राशि में आगमन होगा, ऐसे में अभी वर्तमान स्थिति में मकर राशि पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण प्रारंभ है, और कुंभ राशि के जातकों पर इसका प्रभाव भी पहले चरण में ही है, इसके बाद से ही अगले वर्ष यानी 2022 में इनका गोचर होगा, ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि ग्रह का आगमन 29 अप्रैल 2022 के बाद मकर राशि से कुंभ राशि में आगमन करेंगे, जिसका प्रभाव 29 मार्च 2025 तक रहेगा, इसके बाद ही उनका आगमन मीन राशि में होगा, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि शनि ग्रह के इस प्रकार राशि परिवर्तन से उनकी महादशा भी बदलने के योग बन रहे हैं, जिसके वजह से उनके चाल में बदलाव आएगी |
राशि परिवर्तन का कैसा होगा प्रभाव - अब हम जानेंगे कि शनि किस राशि परिवर्तन से कैसा प्रभाव होगा, जब शनि ग्रह के कुंभ राशि में परिवर्तन करने से मिथुन राशि और तुला राशियों को शनि से मुक्ति मिल जाएगी, जबकि मिथुन राशि और तुला राशि पर शनि की ढैया चल रहा है, लेकिन इस राशि परिवर्तन से इन्हें पूरी तरह मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन यह मुक्ति ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 2023 में ही मिलेगी, जब शनि की स्थिति मार्गी होगी, ऐसा माना जाता है कि जब शनि मार्गी होते हैं तो जिस भी राशि पर उनका प्रभाव होता है उनके लिए बहुत ही शुभ होता है, साथ ही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 29 मार्च 2022 को धनु राशि पर शनि का साढ़ेसाती का प्रभाव कम होगा लेकिन पूरी तरह मुक्ति नहीं मिल पाएगी, शनि से मुक्ति के लिए इन्हें 2023 तक का इंतजार करना पड़ेगा, कुंभ राशि में शनि के प्रवेश के कारण मकर राशि कुंभ राशि और मीन राशि पर शनि का साढ़ेसाती का प्रभाव बहुत तेज होगा, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बीच फिर शनि वक्री होकर 12 जुलाई 2022 में मकर राशि में इनका गोचर होगा |